किसानों के साथ पीएम मोदी से मिले शरद पवार; किसी भी राजनीतिक चर्चा से किया इनकार
हाल ही में शरद पवार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित होने वाले 98वें मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था। प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद पवार ने कहा कि मैंने साहित्य सम्मेलन के विषय पर बात नहीं की।
नई दिल्ली (आरएनआई) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-एससीपी) प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। शरद पवार ने सतारा और फलटण के अनार किसानों के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी को अनार भेंट किए। शरद पवार ने कहा कि बैठक में कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।
हाल ही में शरद पवार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित होने वाले 98वें मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था। प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद पवार ने कहा कि मैंने साहित्य सम्मेलन के विषय पर बात नहीं की।
पिछले महीने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी(एसपी)-शिवसेना (यूबीटी) वाले गठबंधन एमवीए को भाजपा-शिवसेना-एनसीपी के महायुति गठबंधन के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। 288 सदस्यीय विधानसभा में महायुति ने 235 सीटें जीतीं, जबकि एमवीए 46 सीटों पर सिमट गई।
इस बीच महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार पर किसानों के प्रति उदासीनता और उन्हें फसल उत्पादन का पर्याप्त मूल्य नहीं देने का आरोप लगाते हुए बुधवार को लगातार तीसरे दिन विधान भवन की सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र सोमवार को नागपुर में शुरू हुआ था। बुधवार को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे, शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभु और भास्कर जाधव, कांग्रेस नेता नाना पटोले, नितिन राउत, भाई जगताप समेत विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) के सदस्यों ने विधान भवन की सीढ़ियों पर प्रदर्शन किया।
उन्होंने नारे लगाते हुए आरोप लगाया कि सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है तथा सोयाबीन और कपास की फसलों के लिए किसानों को पर्याप्त मूल्य नहीं दे रही। पत्रकारों से बात करते हुए शिवसेना (यूबीटी) के नेता दानवे ने मांग की कि धान किसानों को बोनस दिया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि कपास और सोयाबीन किसानों को उनकी उपज का पर्याप्त मूल्य नहीं मिल रहा।
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