किसान अपनी फसल को रोग से बचाने के लिए समय पर करे उपचार
हरदोई (आरएनआई)जिला कृषि अधिकारी विनीत कुमार ने किसान भाईयों को सूचित किया है कि वर्तमान समय मुख्य रूप से धान की फसल में कीट/रोग का प्रकोप दिखायी दे रहा है, जिसका समय रहते उपचार किया जाना आवश्यक है। उन्होंने किसान भाईयों से कहा है कि धान की फसल मे फाल्स स्मट/मिथ्या कंडुआ रोग होता है, इस रोग के लक्षण पुष्पीकरण के दौरान दिखते है विशेष रूप से तब जब छोटी बाले परिपक्वता अवस्था तक पहुंचने वाली होती है। दाने पीले-हरे या हरे-काले रंग मे बदल जाते है। इसके बचाव के लिए फूल आने से पहले हेक्साकोनाजोल या प्रोपिकोनाजोल अथवा टेबुकोनाजोल का 1-2 मिली0/ली0 पानी मे मिलाकर स्प्रे करें। एक और रोग जिसे गंधीबग कहते है इस रोग मे कीट पीले रंग के शिशु व प्रौढ धान की बाल की दुग्धावस्था मे रस चूस लेते है जिसके फलस्वरूप दाने नही बनते है। इस रोग के बचाव के लिए मैलाथियान 5 प्रति0 धूल 20-25 किग्रा0 अथवा फेनवरेट 0.4 प्रतिर0 धूल 20-25 किग्रा0 की दर से प्रातः या सायंकाल हवा कम होने पर बुरकाव करना चाहिए।
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