'कानून उन लोगों की मदद नहीं करता जो सोए रहते हैं', हाईकोर्ट ने खारिज की देरी के लिए माफी की याचिका
बंबई उच्च न्यायालय ने वर्ष 2021 के एक आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने में 5,193 दिनों की देर के लिए माफी मांगने वाली याचिका खारिज की। अदालत ने कहा कि कानून उन लोगों की मदद करता है जो सतर्क रहते हैं, न कि उनकी जो नींद में रहते हैं।
मुंबई (आरएनआई) बंबई उच्च न्यायालय ने वर्ष 2021 के एक आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने में 5,193 दिनों की देर के लिए माफी मांगने वाली याचिका खारिज की। अदालत ने कहा कि कानून उन लोगों की मदद करता है जो सतर्क रहते हैं, न कि उनकी जो नींद में रहते हैं। अदालत ने आवेदक मणिबेन चंद्रकांत पर 50 हजार रुपये के जुर्माना भी लगाया।
न्यायमूर्ति अभय आहूजा ने इस महीने की शुरुआत में आदेश पारित किया था। आवेदक ने एक अन्य अदालत द्वारा 3 अक्तूबर, 2001 को दिए गए आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने में हुई देरी के लिए माफी मांगी थी।
अदालत ने दोनों पक्षों के बीच दायर सहमति शर्तों के संदर्भ में एक आदेश पारित किया था। जिसमें कहा गया था कि दादर में एक भूखंड के संबंध में बेदखली का मुकदमा आवेदक द्वारा लघु वाद न्यायालय में दायर किया गया था, जिसे बंबई उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। एसएफटी दाखिल नहीं करने या गलत विवरण भरने पर भी जुर्माना लग सकता है।
2018 में जाकर चंद्रकांत दलाल ने अपने वकील से परामर्श करने के बाद महसूस किया कि उन्हें आदेश को चुनौती देनी चाहिए। प्रतिवादियों की ओर से पेश वकील मोहन टेकावड़े और स्वाति टेकावड़े ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि देरी के लिए स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं है। उच्च न्यायालय ने इस दलील को बरकरार रखा। अदालत ने कहा, पारित किए गए आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने में 5,193 दिनों की देरी हुई है। कानून सतर्क लोगों की मदद के लिए है, न कि नींद में सोए लोगों की मदद के लिए।
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