कांग्रेस ने प्रसारण सेवा एक्ट को बताया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा

कांग्रेस ने प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक को लेकर सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने लोगों से सरकार की ‘निरंकुशता’ के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है।

Aug 3, 2024 - 07:00
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कांग्रेस ने प्रसारण सेवा एक्ट को बताया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा

नई दिल्ली (आरएनआई) कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र मीडिया के लिए प्रत्यक्ष खतरा है। कांग्रेस ने कहा कि इस कानून के जरिए सरकार लोगों पर ऑनलाइन निगरानी करना चाहती है।

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने लोगों से सरकार की ‘निरंकुशता’ के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया।

सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने प्रस्तावित कानून के कुछ प्रावधानों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है। हालांकि, सरकार का कहना है कि विधेयक अभी भी मसौदा के चरण में है और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श जारी है।

खेड़ा ने आरोप लगाया, ‘‘प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र मीडिया के लिए प्रत्यक्ष खतरा है।’

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हम सभी को सरकार की निरंकुशता के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। सोशल मीडिया प्रभावितों से लेकर स्वतंत्र समाचार आउटलेट तक, सामग्री निर्माताओं पर सरकार का बढ़ता नियंत्रण, प्रेस की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है और मुक्त भाषण को प्रतिबंधित करता है।’’

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि यह विधेयक वीडियो अपलोड करने, पॉडकास्ट बनाने या समसामयिक विषयों पर लिखने वाले किसी भी व्यक्ति को ‘डिजिटल समाचार प्रसारक’ के रूप में चिह्नित करता है। उन्होंने कहा कि इससे स्वतंत्र समाचार कवरेज प्रदान करने वाले व्यक्तियों और छोटी टीम को अनावश्यक रूप से विनियमित किया जा सकता है।

खेड़ा ने कहा, ‘‘ऑनलाइन कंटेंट बनाने वालों को विषय-वस्तु मूल्यांकन समितियां स्थापित करने के लिए बाध्य करने से प्रकाशन-पूर्व सेंसरशिप बढ़ जाएगी। इससे समय पर समाचार मिलने में देरी होगी और मुक्त अभिव्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, सरकार सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या अपराधों की रोकथाम के आधार पर दूरसंचार सेवाओं का नियंत्रण अपने हाथ में ले सकती है। अधिनियम के अनुसार आपात स्थिति में कोई भी दूरसंचार कंपनी जो दूरसंचार नेटवर्क स्थापित करना या संचालित करना चाहता है, सेवाएं प्रदान करना चाहता है या अनुपातिक उपकरण रखना चाहता है, उसे सरकार द्वारा अधिकृत होना होगा।

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