कांग्रेस ने केरल के मंत्रियों पर शराब नीति को लेकर 'झूठ' बोलने का लगाया आरोप
ड्राई डे मानदंड खत्म करने पर विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दल ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की चुप्पी पर सवाल उठाया। पार्टी ने पूछा कि शिकायत मिलने के बावजूद आरोपों की सतर्कता जांच का आदेश क्यों नहीं दिया गया
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कोच्चि (आरएनआई) कांग्रेस ने रविवार को केरल की वाम सरकार पर उसकी शराब नीति को लेकर हमला किया। उसने आबकारी मंत्री एमबी राजेश और पर्यटन मंत्री पीए मोहम्मद रियास पर आरोप लगाया कि वे जनता से 'झूठ' बोल रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि 'ड्राई डे' के नियम को खत्म करने के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है।
विपक्षी दल ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की चुप्पी पर सवाल उठाया। पार्टी ने पूछा कि शिकायत मिलने के बावजूद आरोपों की सतर्कता जांच का आदेश क्यों नहीं दिया गया। कांग्रेस ने सरकार से आरोपों की न्यायिक जांच की घोषणा करने और आबकारी मंत्री को बर्खास्त करने की भी मांग की।
यह आलोचना उन खबरों के बाद आई है कि राज्य सरकार 'ड्राई डे' मानदंड (जो हर कैलेंडर महीने के पहले दिन राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाता है) को खत्म करने पर विचार कर रही है। इससे राज्य में राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। कांग्रेस नीत यूडीएफ ने जहां एलडीएफ सरकार पर बार मालिकों के पक्ष में रिश्वत लेने का आरोप लगाया है, वहीं वाम दलों का दावा है कि उसने अपनी शराब नीति पर अब तक कोई विचार-विमर्श नहीं किया है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने पर्यटन और आबकारी मंत्रियों के इस दावे को खारिज कर दिया कि 'ड्राई डे' के नियम के संबंध में कोई चर्चा नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों मंत्री सरासर झूठ बोल रहे हैं। बैठकें सरकारी स्तर पर हुईं और बार मालिकों ने उसके बाद 'अनुकूल शराब नीति' के लिए धन इकट्ठा करना शुरू कर दिया। सतीशन ने चेतावनी दी कि बार घोटाले के खिलाफ तीव्र आंदोलन शुरू किया जाएगा।
'ड्राई डे' नीति को वापस लेने का मुद्दा उस समय विवाद में घिर गया, जब बार एसोसिएशन के एक सदस्य का कथित तौर पर ऑडियो क्लिप वायरल हो गया। ऑडियो में सदस्य अन्य सदस्यों से 'शराब नीति' के लिए पैसे देने को कह रहा है। विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने आरोप लगाया कि वाम सरकार ने बार मालिकों से उनके अनुकूल नीति बनाने के लिए 20 करोड़ रुपये मांगे और मंत्री राजेश के इस्तीफे की मांग की।
आरोपों और विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए राजेश ने कहा कि राज्य सरकार ने अपनी शराब नीति के बारे में अभी तक कोई विचार-विमर्श नहीं किया है।
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