कांग्रेस ने अवसंरचना परियोजना पर किया आगाह, कहा- पारिस्थितिकी और मानवीय आपदा को निमंत्रण

कांग्रेस ने ग्रेट निकोबार द्वीप पर विकास कार्यों से जुड़े खतरों के प्रति आगाह किया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, मोदी सरकार अतीत में उनके द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बावजूद इस परियोजना को आगे बढ़ा रही है।

Jan 6, 2025 - 11:05
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कांग्रेस ने अवसंरचना परियोजना पर किया आगाह, कहा- पारिस्थितिकी और मानवीय आपदा को निमंत्रण

नई दिल्ली (आरएनआई) ग्रेट निकोबार द्वीप अवसंरचना परियोजना के कारण पर्यावरण से जुड़े कई खतरे पैदा हो सकते हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, प्रधानमंत्री को तुरंत इस पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस परियोजना की समीक्षा के लिए स्वतंत्र पैनल का गठन करना चाहिए। कांग्रेस के मुताबिक ग्रेट निकोबार द्वीप पर अवसंरचना परियोजना 'पारिस्थितिक और मानवीय आपदा को' निमंत्रण देने जैसा है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'आपत्तियों के बावजूद मोदी सरकार इस परियोजना को बदस्तूर आगे बढ़ा रही है।' उन्होंने कहा कि ग्रेट निकोबार द्वीप में 72,000 करोड़ रुपये की मेगा अवसंरचना परियोजना आपदाओं को निमंत्रण देने जैसा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री के साथ इस मुद्दे पर उनकी बात हो चुकी है। 

रमेश के मुताबिक त्रासदी की आशंका को लेकर उनकी बातचीत सार्वजनिक हो चुकी है। यूपीए सरकार में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री रहे रमेश ने कहा, इस परियोजना के कई घटक हैं। एक अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट; एक हवाई अड्डा; एक बिजली संयंत्र; एक विशाल ग्रीनफील्ड टाउनशिप और पर्यटन सुविधाएं। पूरी परियोजना से कम से कम 33,000 एकड़ प्राचीन उष्णकटिबंधीय वन पर नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है।

जयराम रमेश ने कहा, 'खबर आ रही है कि परियोजना का विस्तार करके वैश्विक बंदरगाह-आधारित शहर बनाने की योजना है। इसके लिए क्रूज टर्मिनल,  जहाज निर्माण और मरम्मत केंद्र के साथ-साथ निर्यात-आयात बंदरगाह स्थापित करने का प्रस्ताव है।' उन्होंने कहा कि नए प्रस्तावों के कारण जैव विविधता से भरपूर 100 एकड़ अतिरिक्त वन नष्ट हो जाएंगे, जो सरासर मूर्खता है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर निशाना साधते हुए जयराम रमेश ने कहा, र्यावरण के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता का दावा करने वाले प्रधानमंत्री का घोर पाखंड पूरी तरह से उजागर हो गया है। इसमें कोई रहस्य नहीं है कि इन बंदरगाहों के ठेके किसे मिलेंगे। अगर प्रधानमंत्री अपनी बात पर कायम रहना चाहते हैं, तो उन्हें तुरंत रोक लगानी चाहिए और परियोजना की गहन समीक्षा करने के लिए एक स्वतंत्र पैनल का गठन करना चाहिए।

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