कांग्रेस के जी विवेक सबसे अमीर उम्मीदवार
पिछले वित्त वर्ष के दौरान विवेक की वार्षिक आय वित्त वर्ष 2019 की 4.66 करोड़ रुपये से बढ़कर 6.26 करोड़ रुपये हो गई, जबकि इसी अवधि के दौरान उनकी पत्नी की वार्षिक आय 6.09 करोड़ रुपये से बढ़कर 9.61 करोड़ रुपये हो गई।
हैदराबाद, (आरएनआई) तेलंगाना विधानसभा चुनाव में चेन्नूर से कांग्रेस के उम्मीदवार जी विवेकानंद 600 करोड़ रुपये से अधिक की घोषित संपत्ति के साथ सबसे अमीर प्रत्याशी हैं। उनके बाद 460 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ कांग्रेस के ही पी श्रीनिवास रेड्डी हैं। विवेक और उनकी पत्नी के पास 377 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है, जिसमें ज्यादातर उनकी अपनी विसाका इंडस्ट्रीज सहित विभिन्न कंपनियों के शेयर हैं। परिवार की अचल संपत्ति 225 करोड़ रुपये से अधिक है।
विवेक और उनकी पत्नी पर 41.5 करोड़ रुपये का कर्ज है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान विवेक की वार्षिक आय वित्त वर्ष 2019 की 4.66 करोड़ रुपये से बढ़कर 6.26 करोड़ रुपये हो गई, जबकि इसी अवधि के दौरान उनकी पत्नी की वार्षिक आय 6.09 करोड़ रुपये से बढ़कर 9.61 करोड़ रुपये हो गई।
पलायर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे पी श्रीनिवास रेड्डी ने 44 करोड़ रुपये की देनदारियों के साथ 460 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति घोषित की है। नामांकन पत्र दाखिल करने के दिन आयकर विभाग ने नौ नवंबर को हैदराबाद और खम्मम में श्रीनिवास रेड्डी के आवासों और कार्यालयों की तलाशी ली। रेड्डी ने इस तलाशी को राजनीति से प्रेरित बताया था। तेलंगाना की 119 सीटों के लिए 4,798 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार और भारतीय जनता पार्टी देश के युवाओं के सपनों को कुचल रही हैं। खरगे ने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, जब प्रधानमंत्री तेलंगाना में बोल रहे थे, तो उस समय एक बहुत ही परेशान करने वाला दृश्य सामने आया। एक लड़की देश के सामने मौजूद वास्तविक मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए बिजली के खंभे पर चढ़ गई। उन्होंने दावा किया, युवा भारत मोदी सरकार के विश्वासघात से तंग आ चुका है। उन्होंने नौकरियों की आकांक्षा की, लेकिन बदले में उन्हें 45 साल की सबसे ऊंची बेरोजगारी दर मिली। वे आर्थिक सशक्तीकरण चाहते थे, लेकिन बदले में भाजपा ने कमरतोड़ महंगाई दी, जिससे उनकी बचत 47 साल के निचले स्तर पर आ गई है। सबसे अमीर पांच प्रतिशत भारतीय नागरिकों के पास भारत की 60 प्रतिशत से अधिक संपत्ति है, जबकि मध्यम वर्ग और गरीब पीड़ित हैं।
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