कलियुग में भगवान को प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय भक्ति है - बाबा बजरंगदास
धनपतगंज पीपरगांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन हुई परीक्षित और विदुर की कथा
सुलतानपुर (आरएनआई) 'भगवान ने हमें सद्कर्म के लिए ही भेजा है। किसी के साथ अच्छा न कर सकें तो उसका बुरा भी न करें। श्रीमद्भागवत पुराण हमें बताता है कि कलियुग में भगवान को प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय भक्ति है ।' यह बातें कथाव्यास बाबा बजरंगदास ने कहीं।
वह क्षेत्र के पीपरगांव स्थित मजगीर बाबा धाम पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन परीक्षित जन्म और कर्म की कथा सुना रहे थे। उन्होंने कहा महाभारत युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से क्रोधित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया । इससे डरकर मां उत्तरा भगवान की शरण में गईं। तब सबके पालनहार कृष्ण ने उनकी रक्षा की । इस प्रकार भक्ति की शक्ति से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ से परीक्षित का जन्म हुआ । जब परीक्षित राजा बने तो कलियुग का प्रथम चरण शुरू हुआ। कलियुग में भक्ति ही मुक्ति का आसान मार्ग है।
बाल व्यास सम्पूर्णानंद ने अजामिल और विदुर की कथा सुनाते हुए कहा कि विदुर प्राचीन महाकाव्य महाभारत के एक प्रमुख व्यक्ति हैं। अपनी बुद्धिमत्ता, धार्मिकता और सत्य के प्रति समर्पण के कारण उनका बड़ा सम्मान था। उस काल के सबसे बुद्धिमान परामर्शदाता विदुर की बताई गई नीति पर चल कर धन वैभव , सम्मान सबकुछ पाया जा सकता है।
मुख्य यजमान वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा प्रसाद सिंह जटायु व सुषमा रानी सिंह ने व्यासपीठ की पूजा कर कथा की शुरुआत की ।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान ओमेंद्र सिंह 'बब्बू' , राम कुबेर सिंह, अशोक दीक्षित, दिलीप कुमार सिंह, राम कुबेर सिंह, राम शंकर सिंह, अंगद कुमार सिंह व आदित्य कुमार सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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