कर्मचारी संगठनों का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने पर भड़के कमलनाथ, बोले- सरकार का कर्मचारी विरोधी और तानाशाह रवैया उजागर
भोपाल (आरएनआई) मध्य प्रदेश में कमर्चारियों और पेंशनर्स की समस्या की आवाज उठाने वाले संगठनों के रजिस्ट्रेशन अचानक से निरस्त किये जाने से कर्मचारी नेता सहित कांग्रेस भी भड़क गई है, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि सरकार ने अपना कर्मचारी विरोधी और तानाशाह चेहरा एक बार फिर उजागर कर दिया है। उधर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस मामले से अधिकारियों से जानकारी तलब की है।
कमलनाथ बोले- भाजपा सरकार का कर्मचारी विरोधी और तानाशाह चेहरा एक बार फिर उजागर
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लिखा, मध्य प्रदेश में 12 लाख कर्मचारी और पेन्शनर्स की आवाज उठाने वाले संगठनों का रजिस्ट्रेशन ख़त्म कर भाजपा सरकार ने अपना कर्मचारी विरोधी और तानाशाह चेहरा एक बार फिर उजागर कर दिया है। इनमें से कुछ संगठन 50 साल तो कुछ 30 साल से अधिक समय से पंजीकृत थे। संगठन का पंजीकरण रद्द करने का अर्थ है कि अब कर्मचारी और पेंशनर्स की ओर से ये संगठन सरकार से बात नहीं कर पाएँगे। यह सीधे-सीधे कर्मचारियों की आवाज़ को दबाना है। यह आलोकतांत्रिक और मानवाधिकारों का हनन है। स्पष्ट है कि सरकार कर्मचारियों का दमन करना चाहती है और यह भी चाहती है कि इस उत्पीड़न का कोई प्रतिरोध ना हो सके। यह एक गहरा षड्यंत्र है। मैं मुख्यमंत्री से माँग करता हूँ कि तत्काल इन संगठनों की मान्यता बहाल करें।
सीएम डॉ मोहन यादव ने रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी को तलब किया
आपको बता दें कि सरकार ने ऐसे कर्मचारी संगठनों और पेंशनर्स संगठनों के रजिस्ट्रेशन समाप्त कर दिए जो लंबे समय से इनकी आवाज बने हुए थे, अब इनके रजिस्ट्रेशन समाप्त हो जाने से 7 लाख कर्मचारी और 5 लाख पेंशनर्स की आवाज उठाने वाला और सरकार से इनकी समस्या की लड़ाई लड़ने वाल कोई नहीं बचा है, पंजीयन निरस्त करने वाली संस्था उद्योग विभाग के अधीन है और इस समय उद्योग विभाग मुख्यमंत्री के पास है, मामला सामने आने के बाद सीएम डॉ मोहन यादव ने रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी को तलब किया है, अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है।
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