कर्नाटक में ईद की नमाज के दौरान नमाजियों ने बांधी काली पट्टी, कई जगहों पर वक्फ संशोधन बिल का विरोध
कर्नाटक के कई हिस्सों में वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध ईद की नमाज के दौरान भी देखा गया। कई जगहों पर ईद की नमाज के दौरान नमाजियों ने हाथों में काली पट्टी बांधकर अपने विरोध-प्रदर्शन दर्ज कराया है।

बेंगलुरु (आरएनआई) कर्नाटक के कुछ हिस्सों में ईद-उल-फितर के जश्न के दौरान सोमवार को वक्फ संशोधन विधेयक का मुद्दा गरमाया रहा। राज्य के मंत्री रहीम खान समेत कई लोगों ने केंद्र के इस कदम के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए काली पट्टी बांधकर विशेष नमाज अदा की। जानकारी के अनुसार, बीदर, मांड्या और बेलगावी में नमाज के दौरान नमाजियों ने विरोध दर्ज कराया।
बीदर में, खेल और युवा सशक्तिकरण विभाग के रहीम मंत्री खान अपने समर्थकों के साथ काली पट्टी बांधकर मस्जिद पहुंचे और ईदगाह मैदान में नमाज अदा की। उनके समर्थकों ने नमाज अदा की और वक्फ कानून संशोधन के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया। वहीं मांड्या शहरी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नहीम ने मांड्या में काली पट्टी बांधकर नमाज अदा की, इस दौरान उनके भी समर्थकों ने भी ऐसा किया। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ मौन विरोध के तौर पर ऐसा किया। बेलगावी में, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने विधेयक के खिलाफ विरोध जताने के लिए काली पट्टी बांधकर नमाज में हिस्सा लिया।
संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग के अलावा, कित्तूर में प्रदर्शनकारी मुसलमानों ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी की जल्द रिहाई की अपील की, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में प्रवर्तन निदेशालय ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन पीएफआई से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। ईडी ने दावा किया कि दोनों संगठनों के बीच संबंध है और पीएफआई राजनीतिक दल के माध्यम से अपनी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।
2009 में स्थापित और दिल्ली में मुख्यालय वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का राजनीतिक मोर्चा होने का आरोप है, जिसे सितंबर 2022 में केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी, जिसमें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की तरफ से सुझाए गए बदलावों को शामिल किया गया है, जिससे इसे चर्चा और पारित करने के लिए संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू की तरफ से लोकसभा में पेश किए जाने के बाद अगस्त 2024 में विधेयक को जेपीसी के पास भेजा गया था। संसदीय पैनल ने बहुमत से रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जबकि पैनल में शामिल विपक्षी दलों के सभी 11 सांसदों ने इस पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने असहमति नोट भी पेश किए थे। 655 पन्नों की रिपोर्ट इस महीने की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों को सौंपी गई थी। वहीं 28 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, जिसे अगस्त 2024 में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था, संसद के मौजूदा सत्र में फिर से पेश किया जाएगा।
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