करोड़ों के खेल में अनेकों निवेशकों का तानाबाना
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मथुरा (आरएनआई) छटीकरा रोड स्थित डालमिया फार्म हाउस में 300 से ज्यादा पेड़ों पर रातोंरात आरा ऐसे ही नहीं चलाया गया। पांच सौ करोड़ रुपये के इस खेल में पांच इन्वेस्टरों ने पूरा तानाबाना तैयार किया है। इतनी बड़ी प्रॉपर्टी में प्लाट बिक्री में ये पेड़ ही अड़चन बने थे जिनका रातों रात सफाया करने के लिए पूरी प्लानिंग तैयार की गई।
18 सितंबर की रात डालमिया फार्म हाउस में जेसीबी, पोकलेन मशीनों के साथ हरे भरे बड़े पेड़ों को काट डाला गया। हैरत की बात यह रही कि पूरा निजाम सोया रहा या सोने की एक्टिंग करता रहा और पेड़ कटते रहे। वन विभाग से लेकर बिजली और पुलिस तक को जैसे कोई खबर नहीं हुई। माना जा रहा है कि सब सेटिंग से हुआ।
इस दौरान कई वन और पुलिस विभाग के आला अधिकारी छुट्टी पर थे। दरअसल यह पूरा खेल लगभग पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रापर्टी का है। मूल रूप से यह जमीन डालमिया फार्म हाउस की है लेकिन इसमें शहर के पांच बड़े इन्वेस्टर जुड़े हैं। सबसे पहले इसका कच्चा सौदा शहर के एक बड़े पूंजीपति ने किया। चूंकि सौदा बड़ा था तो इसके बाद इसमें एक के बाद एक चार और बिल्डर जुड़ गए। ऐसे बिल्डर जुड़े जो कालोनी काटने में माहिर हैं।
मास्टर प्लान में छटीकरा वृंदावन मार्ग पर दोनों तरफ 300-300 मीटर जमीन आश्रम मठ के लिए आरक्षित है। यह फार्म हाउस भी यहीं है। नियमानुसार आश्रममठ की जमीन में 60 और 40 प्रतिशत के अनुपात में आवासीय कालोनी काटी जा सकती है लेकिन विधिवत रूप से मानचित्र स्वीकृत होने के बाद। यदि विकास प्राधिकरण से नक्शा पास हो जाए तो 60 प्रतिशत आश्रम के लिए और बाकी 40 प्रतिशत जमीन में अन्य लोगों के लिए भूखंड काटे जा सकते हैं। यदि इस जमीन की बात करें तो इसका नक्शा अभी स्वीकृत ही नहीं हुआ है बल्कि अभी तक किसी ने आवेदन ही नहीं किया है।
बिना आवंटन कच्चे सौदे पर इसी फार्म हाउस में प्लाट काटे जा चुके हैं। 80 हजार रुपये प्रति वर्ग गज से शुरू होकर इसका रेट एक लाख रुपये वर्ग गज के पार जा चुका है। न तो इस जमीन पर कालोनी काटने के लिए अभी नगर निगम समेत अन्य विभागों ने एनओसी दी है और न ही एमवीडीए ने नक्शा स्वीकृत किया है, फिर भी ताबड़तोड़ ढंग से यहां भूखंडों की बिक्री हुई। सैकड़ों खरीदार इसमें भूखंड खरीद चुके हैं पर रजिस्ट्री अभी नहीं हो पाई है। कारण कि एक तो यहां कई सौ पेड़ थे। दूसरा, बेचने वाले कागज पर खुद ही अभी इस जमीन के स्वामी नहीं हैं क्योंकि मूल स्वामी से डील तो हुई पर अभी यह जमीन उन्होंने किसी दूसरे के नाम नहीं की है। ऐसे में यहां पहले चरण में पेड़ों को रास्ते से हटाने के लिए पूरा खेल खेला गया।
अब आशंका यह है कि पेड़ तो काट दिए गए पर यहां सुुबूत मिटाने की भी कोशिश हो सकती है। या तो पेड़ों को जलाया जा सकता है या रातों रात गायब कराया जा सकता है। जिस तरह से रातों रात पेड़ कटे, उसे देखकर तो यही लगता है कि यदि माल मुकदमा को गायब भी करा दिया गया तो निजाम इसी तरह से सोता रहेगा।
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