कनाडा के स्कूल में खालिस्तान जनमत संग्रह की अनुमति रद्द
सरे स्कूल के एसोसिएट डायरेक्टर, संचार सेवा, रितिंदर मैथ्यू ने बताया कि कार्यक्रम की प्रचार सामग्री में हथियार की तस्वीरों के साथ-साथ स्कूल की फोटो भी थीं। इस मुद्दे को सुलझाने के कई प्रयास के बावजूद कार्यक्रम आयोजकों ने इन छवियों और सामग्रियों को नहीं हटाया।
कनाडा। (आरएनआई) कनाडा में खालिस्तान समर्थकों को एक बड़ा झटका लगा है। कनाडाई अधिकारियों ने हथियार की तस्वीरें दिखाने वाली प्रचार सामग्री पर चिंता जताने के बाद देश के एक स्कूल में खालिस्तान जनमत संग्रह कराने की अनुमति वापस ले ली है। यह जनमत संग्रह 10 सितंबर को कनाडा स्थित सरे के तमनविस सेकेंडरी स्कूल में होना था।
सरे स्कूल के एसोसिएट डायरेक्टर, संचार सेवा, रितिंदर मैथ्यू ने बताया कि जिले ने हमारे किराये समझौते के उल्लंघन के कारण स्कूलों में से एक का सामुदायिक किराया रद्द कर दिया है। कार्यक्रम की प्रचार सामग्री में हथियार की तस्वीरों के साथ-साथ स्कूल की फोटो भी थीं। उन्होंने कहा, इस मुद्दे को सुलझाने के कई प्रयास के बावजूद कार्यक्रम आयोजकों ने इन छवियों और सामग्रियों को नहीं हटाया। मैथ्यू ने कहा, हमारे किराया समझौते के उल्लंघन के कारण जिले ने हमारे स्कूलों में से एक का सामुदायिक किराया रद्द कर दिया है।
इस मुद्दे को संबोधित करने के बार-बार प्रयासों के बावजूद, कार्यक्रम के आयोजकों ने तस्वीरों को नहीं हटाया, और सामग्री पूरे सरे तथा सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाती रही। उन्होंने कहा कि निर्णय के बारे में कार्यक्रम आयोजकों को सूचित कर दिया गया है। मैथ्यू ने कहा कि उनका प्राथमिक उद्देश्य छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व मदद प्रदान करना और स्कूल समुदायों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है।
मूल रूप से जालंधर के गोराया के निवासी जोगिंदर सिंह बासी ने कनाडा में खालिस्तानी गुटों व गुरपतवंत सिंह पन्नू के विरुद्ध बड़ी मुहिम चलाई। इसके बाद कनाडा सरकार ने अनुमति रद्द की। बासी को खालिस्तानियों ने कनाडा में धमकियां भी दीं। दरअसल, सिख फॉर जस्टिस के पन्नू की तरफ से रेफरेंडम के लिए सरे के डिस्ट्रिक्ट स्कूल में मतदान रखा गया था। बासी और इंडो-कैनेडियन वर्कर्स एसोसिएशन ने इसकी शिकायत की थी।
सरे स्कूल के एसोसिएट डायरेक्टर रितिंदर मैथ्यू ने बताया कि किराये सहित उनके समझौते व नीतियां समुदाय के लिए सुरक्षित वातावरण का समर्थन करते हैं। कहा जाता है कि 10 सितंबर को होने वाला जनमत संग्रह तलविंदर सिंह परमार को समर्पित था, जो 300 से अधिक लोगों की हत्या कर चुका है। स्कूल परिसर में परमार की फोटो का इस्तेमाल हो रहा था। जबकि कनाडा की एअर इंडिया जांच ने तलविंदर सिंह परमार को एअर इंडिया बम धमाके के मास्टरमाइंड के रूप में पहचाना जाता है।
खालिस्तान जनमत संग्रह के पोस्टर के साथ चरमपंथी तत्वों द्वारा एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। यह घटना भारतीयों को डराने के लिए ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में हुई थी।
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