कई देश भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए उत्सुक : पीयूष गोयल
वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि दुनिया के कई देश भारत को एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में देख रहे हैं और दुनिया में एक मजबूत ताकत के रूप में उभरने के बाद इसके साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं।
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नयी दिल्ली, 16 दिसंबर 2022, (आरएनआई)। वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि दुनिया के कई देश भारत को एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में देख रहे हैं और दुनिया में एक मजबूत ताकत के रूप में उभरने के बाद इसके साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार के विभिन्न कदमों से दुनिया भर में अपने देश का प्रभाव बढ़ा है और कई देश भारत का व्यापारिक साझीदार बनना चाहते हैं क्योंकि उन्हें भारत में एक भरोसेमंद व्यापारिक सहयोगी दिखता है।
गोयल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ एफटीए मई से प्रभावी हो गया है और ऑस्ट्रेलिया के साथ ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर पहले ही हो गए थे तथा अब यह 29 दिसंबर से प्रभावी होगा।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, कनाडा, यूरोपीय संघ के साथ ही खाड़ी परिषद के छह देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते के संबंध में बातचीत चल रही है।
गोयल ने कहा कि वियतनाम और बांग्लादेश ने सूती वस्त्र एवं परिधान के मामले में बढ़त बना ली है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बांग्लादेश के आगे निकलने का एक बड़ा कारण उसका अल्पविकसित देश (एलडीसी) होना है और वह 2026 तक इस सूची में रहेगा।
उन्होंने कहा कि एलडीसी देश होने के नाते उसे सीमा शुल्क में छूट मिलती है जबकि भारतीय उत्पादों पर 10 प्रतिशत तक सीमा शुल्क लगता है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार वियतनाम का यूरोपीय संघ के साथ एफटीए है जिससे उसके उत्पादों पर भी सीमा शुल्क नहीं लगता है।
उनसे सवाल किया गया था कि क्या सरकार कपड़ा उद्योग में कपास की बहुलता और कच्चे कपास की कमी को ध्यान में रखते हुए इसे आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने पर विचार कर रही है।
इसके जवाब में गोयल ने कहा कि वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और देश में कपास की पर्याप्त उपलब्धता है क्योंकि अनुमानित कपास उत्पादन 341.91 लाख गांठ और खपत 311 लाख गांठ है।
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