....और इसके बाद तहसीलदार नायब तहसीलदार नाराज़ हो गए

Jan 14, 2025 - 16:59
Jan 14, 2025 - 16:59
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....और इसके बाद तहसीलदार नायब तहसीलदार नाराज़ हो गए

मध्यप्रदेश (आरएनआई) हैरानी है कि भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर या सरेआम रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किए जाने के बाद भी कैडर के बाकी अधिकारियों की इज्जत पर कोई आंच नहीं आती, लेकिन यदि सरकार किसी भ्रष्ट अफसर को डपट दे तो तकलीफ हो जाती है। 

21 दिसंबर 2024 को सीधी में नायब तहसीलदार वाल्मीकि साकेत 25 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए। 27 दिसंबर 2024 को सोनकच्छ में तहसीलदार मनीष जैन 07 हजार रुपए रिश्वत लेते धरे गए। 02 जनवरी 2025 को रतलाम में नामली के तहसीदार का रीडर प्रकाश पलासिया 40 हजार रुपए रिश्वत के साथ पकड़ा गया। 

लेकिन तब प्रदेश के एक भी तहसीलदार या उनके संगठन ने इनके कृत्य की निंदा नहीं की। एक ने भी नहीं कहा कि कुछ लोगों के कारण पूरे कैडर पर लोगों को उंगली उठाने का मौका मिलता है इसलिए साथी अधिकारी अपने व्यवहार में सुधार लाएं। लेकिन सरकार ने जनता की शिकायत पर जरा सख्त लहजे में एक दो तहसीलदारों को नसीहत क्या दे दी, सबकी इज्जत खतरे में आ गई!

गुरुवार को राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा इछावर विधानसभा क्षेत्र के महोडिया गांव में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यहां उन्हें तहसीलदार चंचल जैन के खिलाफ #रिश्वतखोरी की शिकायत मिली। इस पर मंत्री ने मंच से सख्त लहजे में कहा, "अब तहसीलदार को जिले से ही भगा देंगे।" बुधवार को मंत्री वर्मा ने भोपाल में हुजूर तहसील के तहसीलदार अनुराग त्रिपाठी को चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने काम में लापरवाही की तो उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा।

मंत्रीजी की यह सख्ती अधिकारियों को रास नहीं आ रही। उन्होंने सरकार पर दवाब बनाने का पैंतरा खेल दिया। प्रदेश भर के तहसीलदार, नायब तहसीलदार मंत्री जी के खिलाफ ज्ञापन देने पहुंच गए और तीन दिन 13, 14, 15 जनवरी का सामूहिक अवकाश ले लिया। इतना ही नहीं ये अधिकारी जिले के प्रशासनिक व्हाट्सएप ग्रुप से भी बाहर हो रहे हैं और निर्देशों का पालन भी नहीं कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि “मंत्री अगर किसी अधिकारी के काम से असंतुष्ट हैं। उसकी गलती है, तो वे तबादला कर सकते हैं। निलंबन कर सकते हैं। लेकिन इस तरह सार्वजनिक मंच से अपमानित करना ठीक नहीं है।" 

सवाल ये है कि क्या रिश्वत लेना ठीक है? जनता के काम अटकाना ठीक है? राजस्व प्रकरणों में लापरवाही बरतना ठीक है? क्या सभी लोग गंगाजल हाथ में लेकर या अपने ईष्ट को साक्षी मानकर ये शपथ ले सकते हैं कि वो अपना कार्य ईमानदारी से करते हैं? कुछ अपवाद सभी जगह होते हैं सो यहां भी होंगे लेकिन बहुतायत में अधिकारियों की कार्यशैली और प्रवृत्ति क्या है ये किसी से छिपा तथ्य नहीं है। 

नैतिकता का पाठ सरकार और मंत्रियों को पढ़ाते समय क्या कोई ये देखेगा कि खुद कहां खड़े हैं?


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