ऑस्ट्रेलिया की श्रीहित कल्याणी रंग देवी "श्रीहितप्रिया सखी सम्मान" से अलंकृत
वृन्दावन।छीपी गली स्थित ठाकुर श्रीप्रिया वल्लभ कुंज में श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के द्वारा श्रीराधावल्लभीय सम्प्रदाय के प्रथम सिद्धांतकार दामोदर दास (सेवकजी महाराज) का जन्मोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।
महोत्सव के अंतर्गत मंगल बधाई समाज गायन किया गया।साथ ही ऑस्ट्रेलिया से आई हुई श्रीहित कल्याणी रंग देवी हरिवंशी ने श्रीहित परमानंद महाराज कृत सेवकजी मंगल एवं प्रियाजी के पदों का गायन किया।इसके अलावा संत - विद्वत संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसमें ऑस्ट्रेलिया से आयीं श्रीहित कल्याणी रंग देवी हरिवंशी को उनके द्वारा ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका,लंदन व मॉरिशस आदि में श्रीराधावल्लभीय सम्प्रदाय का युद्ध स्तर पर प्रचार - प्रसार करने के सम्बन्ध ने उन्हें " श्री हितप्रिया सखी सम्मान" से अलंकृत किया गया।जिसके अंतर्गत उन्हें प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न, अंगवस्त्र एवं ठाकुरजी का पटुका प्रसादी माला आदि भेंट किया गया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के पूर्वाध्यक्ष डॉ. कृष्ण चन्द्र गोस्वामी "विभास" ने कहा कि सेवकजी महाराज श्रीराधावल्लभीय रसोपासना के प्रमुख स्तंभ थे।उनके द्वारा रचित वाणियों से श्रीराधावल्लभीय सम्प्रदाय अत्यंत समृद्ध हुआ है।
श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के समन्वयक व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीहित कल्याणी रंग देवी हरिवंशी श्रीराधावल्लभीय सम्प्रदाय के लिए पूर्णतः समर्पित हैं।वह पिछले लगभग 30 वर्षों से ऑस्ट्रेलिया में रहकर अपने विभिन्न क्रियाकलापों के द्वारा असंख्य व्यक्तियों को वृन्दावनी रसोपासना से जोड़ने का कार्य कर रही हैं।साथ ही उन्होंने वैस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के पर्थ नगर में श्रीहित राधाकृष्ण सेवा कुंज नामक मन्दिर की स्थापना भी की हुई है।जिसमें की नित्य प्रति सत्संग आदि के कार्यक्रम होते हैं।
इस अवसर पर श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य विष्णु मोहन नागार्च, राधावल्लभीय संप्रदायाचार्य श्रीहित सुकृतलाल गोस्वामी,डॉ. हित गोविंदलाल गोस्वामी, हित्तांश गोस्वामी, भागवताचार्य ललित वल्लभ नागर्च, श्रीमती लक्ष्मी नागार्च, डॉ. श्याम बिहारी खंडेलवाल, डॉ. राधाकांत शर्मा, कृष्णा खंडेलवाल,बाबा हितशरण , अनिल भुद्दी, सीमा भुद्दी,अनंतराम सोनी ,राजकुमारी सोनी , उत्तम-मनीषा सोनी, हरिभूषण झा, पंडित मंजीत, जितेंद्र सेन आदि की उपस्थिति विशेष रही।संचालन डॉ. चन्द्र प्रकाश शर्मा "हित किंकर" ने किया।
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