'ऐसा आचरण न करें, जिससे न्यायपालिका की छवि बिगड़े' : बंबई हाईकोर्ट
बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि न्यायाधीशों को गरिमा के साथ काम करना चाहिए। ऐसा आचरण या व्यवहार नहीं करना चाहिए, जिससे न्यायपालिका की छवि पर असर पड़े।
मुंबई (आरएनआई) बंबई उच्च न्यायालय ने नशे की हालत में अदालत आने के आरोपी एक सिविल न्यायाधीश को सेवा में बहाल करने से इनकार किया। अदालत ने मंगलवार को कहा कि न्यायाधीशों को गरिमा के साथ काम करना चाहिए। ऐसा आचरण या व्यवहार नहीं करना चाहिए, जिससे न्यायपालिका की छवि पर असर पड़े।
52 वर्षीय अनिरुद्ध पाठक ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी और कथित तौर पर अनुचित व्यवहार के कारण सिविल न्यायाधीश पद से हटाए जाने व कई मौकों पर नशे की हालत में अदालत आने के आरोपों को चुनौती दी थी। पाठक ने जनवरी 2022 के महाराष्ट्र सरकार के कानून और न्यायपालिका विभाग द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें न्यायिक सेवा से हटा दिया गया था। नंदुरबार के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की ओर रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह आदेश पारित किया गया था।
न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर और न्यायमूर्ति जेएस जैन की खंडपीठ ने याचिका खारिज की और कहा कि पाठक को सेवा से हटाने का आदेश गलत नहीं पाया गया और न ही बिना सोचे-समझे पारित किया गया। अदालत ने कहा, यह सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य नियम है कि न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों को गरिमा के साथ काम करना चाहिए। उन्हें ऐसा आचरण या व्यवहार नहीं करना चाहिए, जिससे न्यायपालिका की छवि प्रभावित होने की आशंका हो या जो एक न्यायिक अधिकारी के लिए उचित न हो।
उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर न्यायपालिका के सदस्य ही ऐसा व्यवहार करते हैं, जो न्यायिक अधिकारी के लिए निंदनीय या अशोभनीय है, तो अदालतें कोई राहत नहीं दे सकती हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, न्यायाधीश अपने दायित्वों का निर्वहन करते वक्त राज्य की संप्रभु न्यायिक शक्ति का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए मानकों को उच्चतम प्रकृति का बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2X
What's Your Reaction?