ऐशो-आराम और करोड़ों की संपत्ति छोड़ चुनी वैराग्य की राह, जैन मुनि बनने दीक्षा लेंगे नौ संयमी युवा
छतरपुर, (आरएनआई) जब वैराग्य जगा आदि मन में, जिन दीक्षा ली जाकर वन में। आज की इस एशो-आराम की जिंदगी और करोड़ों की संपत्ति को छोड़ कर संपन्न घरों के नौ युवाओं ने आत्म कल्याण के लिए बैराग्य का कठिन मार्ग चुन लिया है। बैराग्य लेने के अपने दृढ़ संकल्प के चलते इनके परिजनों ने भी अपनी सहमति सहर्ष देकर इनकी भव्य विनोली यात्रा निकाली तथा ओली हल्दी का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ किया। अब इन नौजवान बैरागियों को पूज्य आचार्य विशुद्ध सागर महाराज बड़ौत में 25 अक्टूबर को एक भव्य समारोह में धार्मिक विधि विधान से मुनि दीक्षा देंगे।
डॉ.सुमति प्रकाश जैन ने बताया कि हमारे नगर के दो शिक्षित युवा वैराग्य धारण कर मुनि बनने जा रहे है, जो उनके परिवार और समाज के लिए अत्यंत गर्व की बात है। छतरपुर के इन दो ओजस्वी युवाओं में एक जैन ट्रेवल्स बस वाले परिवार के कंपनी सेक्रेटरी सुपुत्र विपुल जैन हैं,जो इंजी. विनोद उषा जैन के सुपुत्र है। बैराग्य के कठिन मार्ग को चुनने वाले दूसरे युवा एम.कॉम डिग्रीधारी अंकुर जैन है, जो जानेमाने कपड़ा व्यवसायी अजय ममता जैन के बेटे हैं।
इनके साथ ही दूसरे नगरों के आठ अन्य धार्मिक युवा भी दिगम्बर दीक्षा धारण करने जा रहे हैं। दीक्षा पूर्व नगर में दो दिन चले कार्यक्रमों में इन सभी कठोर संयमधारी युवाओं की विनौली एक साथ बड़े धूमधाम से निकाली गई एवं ओली हल्दी के कार्यक्रम भी उल्लास के साथ संपन्न हुए। इन युवाओं में सिद्धम जैन (पिंकु) पिता कपूरचंद्र ऊषा जैन रूर, जिला भिंड, विपुल जैन पिता अरविंद शशि जैन, भिंड, हिमांशु जैन, पिता मनोज कुमार मधु जैन भिंड, हार्दिक जैन पिता सुदीप कुमार इंदौर, राजेश जैन पिता स्व राजकुमार जैन ललितपुर, विपुल जैन (विनी) पिता इंजीनियर विनोद जैन छतरपुर, एनडीए रिटर्न तन्मय कोठारी, संजय विभा जैन कोठारी जबलपुर, अंकुर जैन अजय कुमार सिंघई छतरपुर सम्मिलित हैं। इन सभी संयमी युवाओं की दीक्षा आगामी 25 अक्तूबर को बड़ौत में आचार्य विशुद्ध सागर के पावन सानिध्य में होगी।
जैन समाज के उपाध्यक्ष रीतेश जैन के मुताबिक दीक्षापूर्व संस्कारो में पहले दिन इन सभी बैराग्य लेने वाले भाइयों की भव्य विनोली यात्रा जैन होटल बस स्टेंड से चौक बाजार, महल तिराहा, छत्रसाल चौक होते हुए श्री अजितनाथ जिनालय, मेलाग्राउंड तक हाथी, घोड़ों,बग्घियों, बैंड बाजों और आर्केस्ट्रा के साथ निकाली गई। विनोली यात्रा वह यात्रा होती हैं जिसमें भावी दीक्षार्थियों को राजा की तरह सजाया जाता हैं, भौतिक सुख सुविधाओं का लालच दिया जाता है और घर वापसी का मौका दिया जाता हैं, ताकि उनके वैराग्य के संकल्प को परखा जा सके। लेकिन जो वैराग्य का मन बना लेते हैं फिर उन्हें संसार कहां रास आता है। दीक्षा के पूर्व कई वर्षों तक गुरु दीक्षार्थी की अलग अलग तरह से परीक्षा लेते रहते हैं। वर्षों की कठिन तपस्या के बाद सुपात्र पाकर ही मुनि दीक्षा दी जाती है।
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