एसकेएम ने ठुकराया सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी का निमंत्रण, कहा- केंद्र से लड़ाई, हस्तक्षेप स्वीकार नहीं
सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी ने तीन जनवरी को किसानों के साथ पंचकूला में बैठक बुलाई है। बैठक में कमेटी विस्तार से किसानों के मुद्दों पर चर्चा कर रणनीति बनाएगी। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने कमेटी के निमंत्रण को ठुकरा दिया है।
चंडीगढ़ (आरएनआई) पंजाब हरियाणा की सीमा पर शंभू व खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के साथ बातचीत कर हल निकालने का निर्देश दिया है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 37 दिन से आमरण अनशन पर हैं। इसके चलते सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी ने तीन जनवरी को किसानों के साथ पंचकूला में बैठक बुलाई है। बैठक में कमेटी विस्तार से किसानों के मुद्दों पर चर्चा कर रणनीति बनाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इस बैठक से दूरी बना ली है। एसकेएम की तरफ से बुधवार को जानकारी दी गई कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी ने एसकेएम को किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 3 जनवरी को निर्धारित अपनी बैठक में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब के शंभू और खनौरी सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन के कारण इस कमेटी का गठन किया था, लेकिन एसकेएम उस आंदोलन का हिस्सा नहीं है।
साथ ही एसकेएम सैद्धांतिक रूप से न्यायालय के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता है, क्योंकि किसान केंद्र सरकार के साथ नीतिगत मुद्दों पर लड़ रहे हैं। इस संबंध में एसकेएम सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से नियुक्त हाई पावर कमेटी द्वारा चर्चा के लिए दिए गए आमंत्रण को स्वीकार करने में असमर्थता व्यक्त करता है।
किसानों ने चार जनवरी को खनौरी बॉर्डर पर किसानों की महापंचायत बुलाई है। डल्लेवाल ने कहा कि वह जरूरी संदेश किसानों को देना चाहते हैं। यह किसान महापंचायत सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक होगी, जिसमें पंजाब, हरियाणा के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी किसानों के पहुंचने की बात ही जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दोबारा से इस पूरे मामले पर सुनवाई हुई। इस संबंधी बात करते किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़, काका सिंह कोटड़ा, सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि अदालत में हुई पूरी प्रक्रिया का विश्लेषण किया गया है। पहले की तुलना में सुप्रीम कोर्ट का रूख बदला है। साथ ही कहा कि अगर केंद्र सरकार की ओर से मांगों को लेकर बातचीत का न्योता आता है, तो डल्लेवाल अपना अनशन समाप्त करने पर विचार कर सकते हैं।
किसान नेताओं ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं की ओर से केंद्र को जरूरी दिशा-निर्देश जारी करके किसानों की मांगों को पूरा कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन के दौरे के वक्त कहा था कि बड़ी-बड़ी जंगों का हल बातचीत से हो सकता है, तो फिर किसान इस देश का हिस्सा हैं। उनकी मांगों को बातचीत के जरिये हल क्यों नहीं किया जा रहा है। किसान नेताओं ने साफ किया कि फिलहाल आंदोलन जारी रहेगा। किसी भी हालत में पंजाब सरकार की शह पर पुलिस प्रशासन को इसमें खलल डालने नहीं दिया जाएगा। नौजवान व किसान 24 घंटे खनौरी बॉर्डर पर पहरेदारी कर रहे हैं।
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