एमआरपी मतलब मनमानी रिटेल प्राइस
गुना (आरएनआई) एमआरपी मनमानी रिटेल प्राइस होती है क्योंकि एमआरपी को लेकर कोई नियम नहीं है, यह बात अखिल भारतीय ग्राहक पञ्चायत के मध्यक्षेत्र संगठन मंत्री अलंकार वशिष्ठ ने वन्दना कॉन्वेंट स्कूल में आयोजित शिक्षकों की प्रबुद्धजन गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि वस्तुओं पर एमआरपी अंकित करने का कोई निश्चित मापदण्ड न होने से वस्तुओं के निर्माता द्वारा वस्तुओं पर कई गुना एमआरपी अंकित की जाती है और फिर कभी डिस्काउंट तो कभी ऑफर के नाम पर ग्राहकों का शोषण किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस शोषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा या तो वस्तुओं पर लागत मूल्य अंकित किया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए या फिर लागत मूल्य पर एक निश्चित मापदण्ड के अनुसार एमआरपी अंकित की जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एमआरपी के साथ - साथ ही ग्राहक पंचायत पर्यावरण, सायबर क्राइम से बचाव आदि विषयों पर भी कार्य कर रही है।
इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रारम्भ में ग्राहक पञ्चायत के जिलाध्यक्ष रामकृष्ण रघुवंशी ने बताया कि ग्राहक पंचायत विगत ५० वर्षों से ग्राहक जागरण हेतु समन्वय से कार्य करने वाला अखिल भारतीय संगठन है। उन्होंने बताया कि हमें कुछ भी खरीददारी करने से पूर्व वस्तुओं पर अंकित एक्सपायरी डेट तथा रेट अवश्य देखना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन मनीष चामलीकर ने किया। इस अवसर पर विद्यालय के पीआरओ एलेक्सजेंडर क्लेमेंट एवं अन्य स्टाफ भी उपस्थित था। कार्यक्रम के पश्चात् ग्राहक जागरण के विषयों पर आधारित पुस्तक ग्राहकः एव राजा का वितरण किया गया।
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