एनजीटी का आरोप- अधिकरण के काम में बाधा डाल रहा पर्यावरण मंत्रालय, एस्बेस्टस शीट के इस्तेमाल का मामला
जुलाई की शुरुआत में, हरित पैनल ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से यह पता लगाने के लिए कहा था कि क्या छात्रों को होने वाले खतरे औद्योगिक श्रमिकों के लिए एस्बेस्टस के काम से होने वाले खतरों से अलग हैं।
नई दिल्ली (आरएनआई) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय शैक्षणिक संस्थानों में एस्बेस्टस के इस्तेमाल के कारण छात्रों को होने वाले स्वास्थ्य खतरों के मामले में उचित प्रतिक्रिया न देकर न्यायाधिकरण के कामकाज में गंभीर बाधा डाल रहा है।
जुलाई की शुरुआत में, हरित पैनल ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से यह पता लगाने के लिए कहा था कि क्या छात्रों को होने वाले खतरे औद्योगिक श्रमिकों के लिए एस्बेस्टस के काम से होने वाले खतरों से अलग हैं। एनजीटी के मुताबिक, अगर स्वास्थ्य जोखिम अलग-अलग हैं, तो मंत्रालय को एक वैज्ञानिक अध्ययन करना होगा और उसे प्रस्तुत करना होगा।
26 नवंबर के आदेश में न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि 24 सितंबर को मंत्रालय के जवाब में वैज्ञानिक अध्ययन के बारे में कोई विशिष्ट जवाब नहीं दिया गया है। पीठ ने कहा कि अगले दिन न्यायाधिकरण के आदेश में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को बहु-विषयक विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति गठित करने के बाद अध्ययन करने और दो महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
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