एनएसई फोन टैपिंग: धनशोधन मामले में चित्रा रामकृष्ण को जमानत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के कर्मचारियों की कथित जासूसी व फोन टैपिंग से जुड़े धनशोधन के मामले में एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी।
नयी दिल्ली, 9 फरवरी 2023, (आरएनआई)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के कर्मचारियों की कथित जासूसी व फोन टैपिंग से जुड़े धनशोधन के मामले में एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक रामकृष्ण को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत पर जमानत दी।
अदालत ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया यह मानने के उचित आधार हैं कि याचिकाकर्ता अपराध की दोषी नहीं है और जमानत पर रहने के दौरान उसके द्वारा कोई अपराध करने की आशंका नहीं है…आवेदन स्वीकार किया जाता है और आवेदक को जमानत प्रदान की जाती है।’’
इसने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि याचिकाकर्ता ने कोई संपत्ति या अपराध की आय अर्जित की है या प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त, मेरे सामने ऐसा कोई आरोप या सबूत पेश नहीं किया गया, जिससे यह पता चले कि याचिकाकर्ता ने अपराध की किसी भी आय को बेदाग संपत्ति के रूप में छुपाया, अपने पास रखा, इस्तेमाल किया, पेश किया या दावा किया।’’
मार्च 2022 में गिरफ्तारी के बाद लगभग सात महीने तक हिरासत में रहने के बाद उन्हें पिछले साल सितंबर में उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मामले में जमानत दे दी थी।
कथित एनएसई ‘को-लोकेशन’ घोटाले में पूर्व में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार की गईं रामकृष्ण को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल 14 जुलाई को वर्तमान मामले में गिरफ्तार किया था।
उल्लेखनीय है कि ‘को-लोकेश’ मामले में कारोबारियों को एनएसई परिसर में सर्वर लगाने की अनुमति दी गई थी। यह मामला ‘हाईफ्रीक्वेंसी’ कारोबार में कुछ इकाइयों को कथित रूप से आंकड़ा प्राप्त होने में तरजीह देने से जुड़ा है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मौजूदा मामले में उनकी जमानत याचिका का इस आधार पर विरोध किया था कि वह साजिश के पीछे ‘मुख्य साजिशकर्ता’ थीं।
ईडी के अनुसार, फोन टैपिंग का मामला 2009 से 2017 की अवधि से संबंधित है जब एनएसई के पूर्व सीईओ रवि नारायण, रामकृष्ण, कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि और प्रमुख (परिसर) महेश हल्दीपुर और अन्य ने एनएसई और उसके कर्मचारियों को धोखा देने की साजिश रची थी। ईडी के अनुसार इस उद्देश्य के लिए, एनएसई की साइबर कमजोरियों का आवधिक अध्ययन करने की आड़ में एनएसई के कर्मचारियों के फोन कॉल को अवैध रूप से टैप करने के लिए आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को लगाया गया।
न्यायमूर्ति सिंह ने 38 पन्नों के आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया रामकृष्ण के खिलाफ भारतीय दंड संहिता या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कोई भी अनुसूचित अपराध स्थापित नहीं होता है और इस प्रकार धनशोधन रोकथाम अधिनियम के प्रावधान नहीं लगाए जा सकते।
अदालत ने यह भी कहा कि ईडी द्वारा किसी भी शिकायत या पीड़ित की पहचान नहीं की गई है, जिसे आरोपियों की धोखाधड़ी के कारण नुकसान हुआ।
इसने कहा कि रामकृष्ण के जांच में शामिल होने और देश नहीं छोड़ने सहित कुछ शर्तों के अधीन जमानत दी जाती है।
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