एनएफआरए की कंपनियों-फर्मों की होगी जांच, शीर्ष अदालत दंड संबंधी शक्तियां भी जांचेगी

सुप्रीम कोर्ट चार्टर्ड अकाउंटेंट और अकाउंटिंग फर्मों को कारण बताओ नोटिस जारी करने, जांच करने और कदाचार के लिए दंडित करने की शक्ति के बारे में राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) की याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया। एनएफआरए ने 7 फरवरी को दिए गए एक फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट के कुछ निर्देशों पर आपत्ति जताते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

Feb 18, 2025 - 11:30
 0  297
एनएफआरए की कंपनियों-फर्मों की होगी जांच, शीर्ष अदालत दंड संबंधी शक्तियां भी जांचेगी

नई दिल्ली (आरएनआई) हाईकोर्ट ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 132(4) की वैधता को बरकरार रखा, जो एनएफआरए को किसी भी ऑडिट के संबंध में व्यक्तिगत भागीदारों और सीए के साथ-साथ ऑडिटिंग फर्मों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का अधिकार देता है। हालांकि, इस फैसले में कई ऑडिटिंग फर्मों, जैसे डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स एलएलपी और फेडरेशन ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को इस आधार पर रद्द कर दिया कि एनएफआरए की ओर से अपनाई गई प्रक्रिया में स्पष्ट रूप से तटस्थता और निष्पक्ष मूल्यांकन के गुणों का अभाव था।

हाईकोर्ट ने कहा कि एनएफआरए के वही अधिकारी, जो ऑडिटिंग फर्मों और सीए को कारण बताओ नोटिस जारी करते हैं, मुद्दों की जांच के बाद दंड पर फैसला नहीं दे सकते। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एनएफआरए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर ध्यान देने के बाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एनएफआरए की याचिका पर ऑडिटिंग फर्मों और अन्य को नोटिस जारी किया।

शीर्ष अदालत प्रथम दृष्टया इस दलील से सहमत नहीं थी कि एनएफआरए के तीन अधिकारियों को ऑडिटरों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद जांच निर्णय प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी जाए और इस बीच उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने सोलन की मेयर उषा शर्मा की अयोग्यता को राजनीतिक गुंडागर्दी बताते हुए उन्हें शेष कार्यकाल के लिए उनके पद पर बहाल कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 20 अगस्त, 2024 के अपने आदेश को निरपेक्ष करार दिया, जिसके तहत उसने उनकी अयोग्यता पर रोक लगा दी थी। पीठ ने उन्हें हटाने को पुरुष पक्षपात का मामला करार दिया था। पीठ ने मामले को एक साल बाद स्थगित करते हुए कहा, 20 अगस्त, 2024 के अंतरिम आदेश में किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने पर परिणाम भुगतने होंगे। प्रतिवादियों के वकील देवदत्त कामत ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो पीठ ने कहा कि वह वर्तमान में आदेश में कोई भी प्रतिबंध नहीं लगाना चाहती, क्योंकि यह राजनीतिक गुंडागर्दी का मामला है।

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के दायर मुकदमे में केंद्र की ओर से विधि अधिकारी या वकील के उपस्थित नहीं होने पर चिंता जताते हुए कहा कि अदालत के प्रति थोड़ा शिष्टाचार दिखाएं। जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि मामले की सुनवाई के समय न्यायालय में कोई विधि अधिकारी उपस्थित नहीं था। एक वकील ने पीठ को बताया कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जिन्हें इस मामले में न्यायालय में उपस्थित होना था, सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष एक अन्य मामले पर बहस कर रहे हैं। इस पर जस्टिस गवई ने कहा, किसी को तो यहां होना चाहिए।

जस्टिस गवई ने कहा कि यहां 17 कोर्ट हैं, तुषार मेहता हर कोर्ट में नहीं हो सकते। बाद में एक अन्य मामले पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, पश्चिम बंगाल के मामले में आपकी तरफ से कोई नहीं आया। यह बहुत दुखद तस्वीर पेश करता है कि केंद्र महत्वपूर्ण मामलों में दिलचस्पी नहीं रखता है। आपके पैनल में बहुत सारे कानूनी अधिकारी हैं, बहुत सारे वरिष्ठ वकील हैं और एक भी वकील मौजूद नहीं था। सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध पर, पीठ ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। 

Follow      RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.