एनआईए ने मणिपुर हिंसा के तीन बड़े मामलों की जांच शुरू की, फिर से दर्ज किए मुकदमे
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद एनआईए ने मणिपुर में हिंसा से जुड़े तीन प्रमुख मामलों की जांच शुरू की। इन मामलों में बड़ी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए एनआईए ने 13 नवंबर को तीन मामलों को नए सिरे से दर्ज किया।
नई दिल्ली (आरएनआई) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मणिपुर के हाल के हिंसा से जुड़े तीन बड़े मामलों की जांच शुरू कर दी है। एक आधिकारिक बयान में जानकारी दी गई कि जांच एजेंसी की टीमों ने 21 और 22 नवंबर को घटनास्थलों का दौरा किया और जांच शुरू की। बयान में कहा गया है कि राज्य पुलिस से मामले से जुड़े दस्तावेज एनआईए को सौंपने की प्रक्रिया जारी है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद एनआईए ने मणिपुर में हिंसा से जुड़े तीन प्रमुख मामलों की जांच शुरू की। इन मामलों में बड़ी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए एनआईए ने 13 नवंबर को तीन मामलों को नए सिरे से दर्ज किया। गृह मंत्रालय ने अपराधों की गंभीरता और राज्य में बढ़ती हिंसा को देखते हुए जांच एनआईए को सौंपने का फैसला लिया था।
पहले मामले की जानकारी देते हुए एनआईए ने बताया कि 11 नवंबर को बोरोबेकरा में कई घरों को आ लगा दी गई थी और दो नागरिकों की हत्या कर दी गई। बाद में अज्ञात उग्रवादियों ने छह लोगों का अपहरण कर हत्या कर दी, जिनमें तीन महिलाएं और तीन बच्चे शामिल थे। इन घटनाओं के बाद पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने जवाबी कार्रवाई की, जिससे भारी गोलीबारी हुई। तलाशी अभियान में जलते हुए घरों से दो शव बरामद हुए। एनआईए ने इस मामले को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत फिर से दर्ज किया है।
दूसरे मामले में 11 नववंबर को जिरिबाम के जकुराधोर कड़ोंग और बोरोबेकरा थानों पर उग्रवादियों ने हमला किया था। इस हमले में सीआरपीएफ का एक कांस्टेबल घायल हुआ था और उसे इलाज के लिए सिल्चर भेज गया। इसके बाद सुरक्षा बलों और पुलिस ने जब तलाशी ली, तो हमलावर उग्रवादियों के शव और शस्त्र बरामद हुए। एनआईए ने इस मामले को भी भारतीय न्याय संहिता और शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत फिर से दर्ज किया है।
तीसरे मामले में जिरिबाम में उग्रवादियों ने एक महिला की हत्या की। सात नवंबर को जिरिबाम के जयरलपोकपी निवासी जोसांगकिम (31 वर्षीय) के साथ उग्रवादियों ने कथित तौर पर दुष्कर्म किया और फिर उसे जलाकर मार दिया। जोसांगकिम तीन ब्चों की मां थीं। यह घटना पहले जिरिबाम थाने में आठ नवंबर को दर्ज की गई थी। एनआईए ने इस मामले को भी बीएनएस, शस्त्र अधिनियम (1959) और अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत फिर से दर्ज किया।
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