उर्वरक विक्रेता शासन द्वारा निर्धारित दर और गुणवत्तायुक्त उर्वरक करें विक्रय - कलेक्टर
डीएपी के स्थान पर विकल्प के रूप में एसएसपी/ एनपीके/ नैनो यूरिया व नैनो डीएपी को बढा़वा देने के लिए करें कृषकों को जागरूक।
गुना (आरएनआई) जिले में आगामी रबी सीजन में उर्वरक वितरण का कार्य सुव्यस्थित एवं पारदर्शी तरीके से कराये जाने हेतु कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में जिसमें कृषि विभाग, सहकारिता एवं जिला विपणन अधिकारी के साथ ही जिले के समस्त निजी उर्वरक विक्रेता उपस्थित हुये।
बैठक में कलेक्टर द्वारा निर्देशित किया गया कि उर्वरक भण्डारण एवं वितरण की सतत निगरानी करते हुये किसी भी प्रकार की अनियमितता, कालाबाजारी/अधिक दामों पर खाद बेचे जाने या उक्त कार्य में संलिप्तता पाये जाने पर उर्वरक विक्रेता/व्यक्ति के विरूद्ध उर्वरक गुण नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत प्रकरण दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही की जावे। उर्वरक विक्रेताओं द्वारा शासन की निर्धारित दर पर ही गुणवत्ता युक्त उर्वरक विक्रय किया जावे। साथ ही मिलावटी एवं कम वजन में उर्वरक विक्रय पाये जाने पर कडी़ कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
डी.ए.पी. के स्थान पर विकल्प के रूप में अन्य उर्वरक जैसे – एस.एस.पी., एन.पी.के., नैनो यूरिया एवं नैनो डी.ए.पी. के उपयोग को बढावा दिये जाने हेतु कृषकों को जागरूक किया जावे एवं डी.ए.पी. के विकल्प के रूप में - 3 बैग एस.एस.पी. + आधा बैग यूरिया का उपयोग करने पर 1 बैग डी.ए.पी. के बराबर पोषक तत्व फसलों को प्राप्त होते है तथा डी.ए.पी. की तुलना में फसलों की पैदावार भी अधिक होती है। इस संबंध में उर्वरक विक्रेताओं से कहा कि विक्रेता इन विकल्पों के प्रचार-प्रसार के लिए अपने स्तर पर पेम्पलेट छपवाएं एवं फ्लेक्स लगवाएं एवं कृषकों का विश्वास अर्जित करने के लिए उन्हें प्रेरित करें। इसी प्रकार कलेक्टर द्वारा निर्देशित किया गया कि शासकीय एवं निजी केन्द्रों की सतत निगरानी की जावे तथा मार्कफेड केन्द्रों पर लंबी लाइन न लगे और केन्द्रों पर घटिया उर्वरक का विक्रय न हो, कम तौल न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाये। कालाबाजारी पर सख्ती से कार्यवाही करें। कृषकों को गौवंश से बनने वाली कंपोस्ट खाद का ज्यादा उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जावे और इसका प्रचार-प्रसार भी करावें।
कलेक्टर द्वारा समीक्षा बैठक के दौरान जिला विपणन अधिकारी को निर्देशित किया गया कि एनएफएल से ही जिले में यूरिया की आपूर्ति होना चाहिये, अन्य जिले से रैक पाइंट लाकर यूरिया प्राप्त करने का कोई औचित्य नही है। इससे शासन पर अनावश्यक ट्रांसर्पोटेशन भार बढ़ता है। इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा जाये।
उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा जिले के किसानों से अपील की गई है कि उर्वरक के बढ़ते मूल्य को देखते हुए फसलों से अधिक पैदावार लेने के लिये जरूरी है कि वह रासायनिक उर्वरकों को संतुलित और सही मात्रा में प्रयोग करें ताकि मृदा की उर्वरकता एवं उत्पादन क्षमता बनी रहे।
आज कल यूरिया एवं डीएपी का प्रचलन अधिक बढ़ गया है। जो केवल नाईट्रोजन, फास्फोरस के अलावा अन्य पोषक तत्वों को प्रदान नहीं करते है। इनके लगातार प्रयोग से मिट्टी में पोटाश एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी प्रभावित होती है तथा दोनों की चमक में भी वृद्धि होती है, जिसके कारण अच्छा बाजार भाव प्राप्त होता है। कॉम्प्लेक्स उर्वरकों में नाईट्रोजन, फास्फोरस पोटाश तत्व पाये जाते है। इसलिए काम्प्लेक्स उर्वरकों का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।
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