उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का ग्रीन कार्ड को लेकर बड़ा बयान, अमेरिका की अप्रवासन नीति को लेकर छिड़ी बहस
अमेरिका में ग्रीन कार्ड को स्थायी निवास प्रमाण पत्र के तौर पर माना जाता है और यह विदेशी लोगों को अमेरिका में रहने और काम करने का अधिकार देता है।

वॉशिंगटन (आरएनआई) अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अमेरिका की अप्रवासन नीति को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिसके बाद अमेरिका में इसे लेकर नई बहस छिड़ गई है। दरअसल वेंस ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि ग्रीन कार्ड मिलने का ये मतलब नहीं है कि लोगों को इससे अमेरिका में अनिश्चितकाल तक रहने का अधिकार मिल जाता है और सरकार के पास ग्रीन कार्ड धारकों को भी देश से निकालने का अधिकार है। बता दें कि अमेरिका में ग्रीन कार्ड को स्थायी निवास प्रमाण पत्र के तौर पर माना जाता है और यह विदेशी लोगों को अमेरिका में रहने और काम करने का अधिकार देता है। अभी तक अमेरिका में अवैध अप्रवासी ही निशाने पर थे, लेकिन अब जेडी वेंस के इस बयान ने ग्रीन कार्ड धारकों के बीच चिंता पैदा कर दी है।
एक अमेरिकी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में जेडी वेंस ने कहा कि 'ग्रीन कार्ड धारक को अमेरिका में अनिश्चितकाल तक रहने का अधिकार नहीं होता है। यह बोलने के अधिकार के बारे में नहीं है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और सबसे अहम बात ये है कि ये हम अमेरिकी नागरिकों का अधिकार है कि हम अपने समाज में किस तरह के लोगों को शामिल करना चाहते हैं।' अमेरिका में आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए जाने, लंबे समय तक देश से गैरहाजिर रहने और अप्रवासन संबंधी नियमों का पालन न करने पर ग्रीन कार्ड की वैधता को खत्म भी किया जा सकता है।
अमेरिका में बसने का सपना देखने वाले लोगों का लक्ष्य ग्रीन कार्ड हासिल करना ही होता है। इसके जरिए अभी तक ये माना जाता था कि विदेशी नागरिक अमेरिका में अनिश्चित समय तक रह सकते हैं। ग्रीन कार्ड धारक 3-5 साल बाद अमेरिका की नागरिकता के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। साथ ही राज्य सरकार की तरफ से दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय सहायता पाने के लिए भी ग्रीन कार्ड धारक योग्य होते हैं।
अमेरिका में ग्रीन कार्ड धारक भारतीयों की संख्या लाखों में है। साल 2022 में 1.27 लाख भारतीयों को अमेरिका का ग्रीन कार्ड मिला है। इनके अलावा 12 लाख से ज्यादा भारतीय प्रवासी ग्रीन कार्ड पाने की कोशिशों में जुटे हैं। वेंस का यह बयान ऐसे वक्त सामने आया है, जब ट्रंप प्रशासन गोल्ड कार्ड योजना के जरिए विदेशी लोगों को नागरिकता देने की योजना बना रहा है। इसके जरिए 50 लाख डॉलर देकर अमेरिका की नागरिकता हासिल की जा सकती है।
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