उजड़ने से पहले घर मिलने की आस, बनभूलपुरा से लगी रेलवे की जमीन पर बसे हैं 4365 परिवार

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के लोगों के पुनर्वास की योजना बनाने संबंधी आदेश की सूचना मिलते ही वहां रह रहे लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा।

Jul 25, 2024 - 08:00
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उजड़ने से पहले घर मिलने की आस, बनभूलपुरा से लगी रेलवे की जमीन पर बसे हैं 4365 परिवार

नैनीताल (आरएनआई) हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के लोगों के पुनर्वास की योजना बनाने संबंधी आदेश की सूचना मिलते ही वहां रह रहे लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा। इस आदेश के बाद लोगों को उम्मीद है कि पक्के मकानों से हटाने से पहले सरकार उनका पुनर्वास करेगी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करने वालों से लेकर आम लोगों ने भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को जनहितकारी बताया है। लोगों का कहना है कि रेलवे और प्रशासन ने तो उनकी सुनी नहीं। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें न्याय की उम्मीद थी। बुधवार को कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी है।

हम विकास विरोधी नहीं हैं लेकिन हम चाहते थे कि रेलवे पहले अपनी जमीन बताए। अपनी जमीन चिह्नित करें ताकि जो जमीन रेलवे की नहीं है उस पर काबिज लोगों की परेशानी कम हो। रेलवे अपने विस्तार का प्लान और जद में आ रहे लोगों के पुनर्वास की योजना बताए। सुप्रीम कोर्ट उस दिशा में जा रही है।

मैंने वर्ष 2008 में भूमि फ्रीहोल्ड के लिए आवेदन किया और 2015 में फ्रीहोल्ड हो गया। अब मैं कानूनी रूप से भूमि का मालिक हूं। इस जमीन पर भी रेलवे का नोटिस आ गया। हमारी मांग थी कि रेलवे की वास्तविक भूमि पता चले। सुप्रीम कोर्ट ने भी यही आदेश दिया है।

रेलवे और प्रदेश सरकार को भी सुप्रीम कोर्ट की तरह मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए गरीब जनता के हित में निर्णय लेने चाहिए। मात्र एक रिटर्निंग वॉल बनने से ही सारी समस्या का हल निकल सकता है। इसके बनने से न तो रेलवे स्टेशन को कोई खतरा होगा और न ही किसी के आशियाने को उजाड़ने की ज़रूरत पड़ेगी।

मैं इंदिरानगर में रहता हूं। मैंने नगर निगम से आरटीआई में जानकारी मांगी थी कि मेरा मकान किस भूमि पर है। तब नगर निगम ने कहा कि नजूल भूमि है और स्वामित्व राज्य सरकार का है। फिर मैं रेलवे अतिक्रमण से बेफिक्र था लेकिन अचानक रेलवे ने नोटिस थमा दिया। हमारा मानना है कि रेलवे भूमि चिह्नित करे, तभी सच सामने आएगा।

रेलवे के पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं। रेलवे जबरन अपनी जमीन बता रहा है और कोर्ट को गुमराह कर रहा है। जीत सच की होगी और बनभूलपुरा के लोग हक की बात पर अपनी पैरवी कर रहे हैं। रेलवे का सीमाकंन ही गलत है। हम लोग आखिरी दम तक लड़ाई लड़ेंगे।

रेलवे और सरकार गरीबों को उजाड़ना चाहती थी लेकिन इंदिरनगर की आम जनता को सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने का पूरा भरोसा था। सुप्रीम कोर्ट के तीनों जजों का आभार।

बनभूलपुरा की जनता को न्यायालय पर भरोसा था। आज न्यायालय ने जो कहा उससे आम जनता बहुत खुश है। जब सरकार और रेलवे प्रशासन ने हमारी बात नहीं सुनी तब सुप्रीम कोर्ट पर ही भरोसा था।

सर्वोच्च अदालत किसी को बेघर नहीं होने देगी। वकील हमारे पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर हमारी आवाज बने, उन्हें धन्यवाद देते हैं।

लोगों ने मेहनत करके एक-एक पैसा जोड़कर अपने मकान बनाए। जब से रेलवे ने नोटिस भेजे हैं और नजूल की भूमि को अपनी भूमि बताया, तब से यहां के लोगों की नींद उड़ गई थी। सभी की दुआएं आज काम आई। न्यायालय की सुनवाई से सभी आज चैन की सांस ले रहे हैं।

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