इस्राइल ने हिजबुल्ला से समझौता किया

14 महीने से पश्चिम एशिया में कई मोर्चों पर लड़ाई चल रही है। हालांकि, शांति की एक पहल के रूप में इस्राइल और हिजबुल्ला ने शुरुआती दो महीने के लिए युद्ध विराम कर लिया। यह समझौता लेबनान और इस्राइल के लाखों निवासियों के लिए राहत लेकर आया है जो करीब एक साल से अपने घरों से दूर हैं। युद्ध विराम लागू होने के साथ ही लेबनान और इस्राइल दोनों देशों के हजारों लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं।

Nov 29, 2024 - 07:15
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इस्राइल ने हिजबुल्ला से समझौता किया

यरुशलम (आरएनआई) 14 महीने से पश्चिम एशिया में कई मोर्चों पर लड़ाई चल रही है। हालांकि, शांति की एक पहल के रूप में इस्राइल और हिजबुल्ला ने शुरुआती दो महीने के लिए युद्ध विराम कर लिया। यह समझौता लेबनान और इस्राइल के लाखों निवासियों के लिए राहत लेकर आया है जो करीब एक साल से अपने घरों से दूर हैं। युद्ध विराम लागू होने के साथ ही लेबनान और इस्राइल दोनों देशों के हजारों लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं।

युद्ध शुरू होने के बाद से पश्चिम एशिया में प्रगति का यह पहला बड़ा संकेत है। इस्राइल-हिजबुल्ला के बीच युद्ध विराम के बाद अब दुनिया की निगाहें गाजा युद्ध पर हैं। गाजा में रहने वाले लाखों फलस्तीनियों और हमास की कैद में फंसे बंधकों के परिवारों के लिए अभी भी अच्छी खबर का इंतजार है।

उत्तरी मोर्चे पर लड़ाई को समाप्त करने के लिए इस्राइल और हिजबुल्ला के बीच संधि हो गई। मंगलवार को इस्राइल के सुरक्षा मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अध्यक्षता में युद्ध विराम पर चर्चा की गई और इसे मंजूरी दे दी गई।

अमेरिका की मध्यस्थता में हुए समझौते से 14 महीने से जारी संघर्ष के अंत का रास्ता साफ हो गया, जिसमें 3750 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। समझौते में शुरुआती दो महीने के युद्ध विराम की बात कही गई है। समझौते के तहत लेबनानी नागरिकों को दक्षिणी लेबनान के गांवों और कस्बों में अपने घरों में लौटने की अनुमति दी जा रही है, जिन्हें उन्होंने खाली कर दिया था। लेबनान में करीब 12 लाख लोग विस्थापित हुए हैं और बुधवार से हजारों लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर इस्राइली पक्ष में करीब 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं, लेकिन बहुत कम लोग वापस लौटे हैं।

समझौते की दूसरी सबसे बड़ी शर्त के तहत जहां इस्राइली सेना को दक्षिणी लेबनान से हटना होगा, तो वहीं हिजबुल्ला लितानी नदी के दक्षिण में सीमा पर अपनी सशस्त्र मौजूदगी खत्म करेगा। जैसे ही इस्राइली सेना दक्षिणी लेबनान से हटेगी, लेबनानी सेना इन खाली क्षेत्रों में हजारों सैनिकों को तैनात करेगी। इसके साथ ही लेबनानी सेना दक्षिणी लेबनान में पहले से ही मौजूद संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक बल को भी तैनात करेगी।

समझौते से पहले इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अगुवाई में रविवार को सुरक्षा संबंधी एक बैठक हुई थी। इस दौरान पीएम नेतन्याहू ने कहा था कि युद्ध विराम समझौते से हमास गाजा में अलग-थलग पड़ जाएगा और बंधक समझौते की संभावना बढ़ जाएगी।

उधर हिजबुल्ला लंबे समय तक यह कहता रहा कि वह गाजा में युद्ध खत्म होने तक संघर्ष विराम के लिए सहमत नहीं होगा, लेकिन अंततः उसने यह शर्त छोड़ दी। न्यूज एजेंसी एपी ने विश्लेषकों के हवाले से बताया कि इस्राइल और हिजबुल्ला के बीच युद्ध विराम से क्षेत्रीय तनाव में काफी हद तक कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, यह देखना होगा कि इसका गाजा में इस्राइल-हमास युद्ध पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

पिछले एक साल से हमास की कैद में फंसे बंधकों के परिवार चाहते थे कि इस्राइल-हिजबुल्ला समझौते का एक हिस्सा उनके प्रियजनों को वापस करना भी हो। एपी ने बताया कि फलस्तीनियों को उम्मीद थी कि हिजबुल्ला के साथ युद्ध विराम समझौते में गाजा में भी युद्ध विराम शामिल होगा। इसके बजाय, हाल में घोषित हुए युद्ध विराम केवल लेबनान में लड़ाई तक ही सीमित है।

इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस बात पर अड़े हुए हैं कि हमास को पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाना चाहिए और इस्राइल को क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर स्थायी नियंत्रण बनाए रखना चाहिए। महीनों की बातचीत नेतन्याहू को उन मांगों से पीछे हटने या हमास को उन शर्तों के तहत बंधकों को रिहा करने के लिए राजी करने में विफल रही है।

7 अक्तूबर 2023 के हमले के एक दिन बाद हिजबुल्ला ने हमास के समर्थन में इस्राइल में गोलीबारी शुरू कर दी थी। तब से दोनों पक्षों के बीच लगभग रोजाना गोलीबारी होती रही है। अब जब इस्राइल और हिजबुल्ला ने समझौता कर लिया है तो हमास को अकेले ही लड़ना पड़ेगा। फलस्तीनी समूह की क्षमताएं पहले से ही इस्राइल के हमले से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं और उसके प्रमुख लोग मारे जा चुके हैं। 

फलस्तीनी विश्लेषक खलील सईघ ने न्यूज एजेंसी एपी से कहा कि युद्ध विराम से गाजा में हमास की लोकप्रियता और भी कम हो सकती है। उधर मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि इस्राइल-हिजबुल्ला युद्धविराम हमास को बातचीत की मेज पर लाने में मदद कर सकता है। विशेषज्ञों ने कहा है कि हमास युद्ध के मैदान और बातचीत दोनों में ही अपनी पकड़ बनाए रखेगा। समूह ने जोर देकर कहा है कि वह गाजा से इस्राइल की पूरी वापसी के बदले में ही सभी बंधकों को रिहा करेगा।

इस लड़ाई में सबसे ज्यादा असर जिन पर पड़ा है वो हैं बंधक। पिछले साल हमास के घातक हमले के दौरान इसके लड़कों ने इस्राइली नागरिकों समेत 250 लोगों को बंधक बना लिया था। आंशिक युद्ध विराम में जहां कुछ बंधक हमास की कैद से बाहर आए जबकि कुछ को वहीं मार दिया गया। इस तरह से गाजा में अभी भी करीब 100 बंधक लोग हैं, जिनमें से कम से कम एक तिहाई के मारे जाने की आशंका है। अब इस्राइल और हिजबुल्ला के समझौते में बंधकों को शामिल न करने से प्रभावितों परिवारों में निराशा छा गई है। मंगलवार की रात दर्जनों इस्राइली लोग राजधानी तेल अवीव में एक प्रमुख राजमार्ग पर एकत्र हुए और बंधकों की वापसी के लिए विरोध प्रदर्शन किया।

इस जंग में एक और प्रभावित वर्ग फलस्तीनी विस्थापितों का है। गाजा में इस्राइल-हमास की लड़ाई के चलते फलस्तीनियों के अधिकांश घर नष्ट हो गए हैं और लगभग पूरी आबादी अपने घरों से बाहर शरणार्थी बनकर रह रही है। एपी ने बताया कि युद्ध की दूसरी सर्दी में ठंडी बारिश और बाढ़ के कारण लाखों लोग गंदे तंबू वाले शहरों में भूखे रह रहे हैं। 7 अक्तूबर 2023 से शुरू हुए इस्राइल-हमास युद्ध में फलस्तीनी क्षेत्र में भारी तबाही मची है, जिसमें 44,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। दावा है कि मृतकों में आधे से अधिक महिलाएं और बच्चे हैं।

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