इसरो ने रचा एक और इतिहास, अंतरिक्ष में चार दिन में लोबिया में फूटे अंकुर
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में डिजाइन किए गए सीआरओपीएस ने केवल 4 दिनों में लोबिया के बीज को सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में अंकुरित किया। पहले उम्मीद की जा रही थी लोबिया में सात दिनों में अंकुर निकल सकता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और इतिहास रचा है। इसरो ने अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण से मात्र चार दिन में लोबिया के बीजों को अंकुरित करने में कामयाबी हासिल की है। उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही बीज से पत्ते भी निकलेंगे। इसरो ने 30 दिसंबर को पीएसएलवी-सी60 से भेजे गए स्पेडेक्स के साथ पीओईएम-4 पर सीआरओपीएस (कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज) पेलोड भेजा था।
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में डिजाइन किए गए सीआरओपीएस ने केवल 4 दिनों में लोबिया के बीज को सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में अंकुरित किया। पहले उम्मीद की जा रही थी लोबिया में सात दिनों में अंकुर निकल सकता है। सीआरओपीएस पेलोड एक उन्नत स्वचालित प्रणाली है, जिसका उद्देश्य सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण परिस्थितियों में बीज अंकुरण और पौधों की स्थिरता का अध्ययन करना है। यह सफलता वैश्विक अंतरिक्ष शोध में भारत की स्थिति को बेहद मजबूत बनाती है।
प्रयोग के लिए लोबिया के बीज को तेजी से अंकुरित होने की वजह से चुना गया। लोबिया में सहनशीलता भी काफी होती है और यह पोषण के लिहाज से महत्वपूर्ण पौधा है। प्रयोग के लिए आठ लोबिया के बीजों को सटीक ताप के साथ सतर्कतापूर्वक नियंत्रित बंद-बॉक्स वातावरण में रखा गया था।
इस प्रयोग को अंतरिक्ष में भोजन उगाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम कहा जा रहा है। यह भविष्य में चंद्रमा, मंगल व अन्य ग्रहों में अंतरिक्ष यात्रियों की लंबे समय तक मौजूदगी के दौरान भोजन की उपलब्धता को आसान बनाने में मदद करेगा। लोबिया के अंकुरित होने के बाद पालक पर होने वाली शोध की कामयाबी की उम्मीद बढ़ गई है। पालक पर अंतरिक्ष और धरती पर एक ही वक्त पर प्रयोग होगा। पालक की कोशिकाओं को एलईडी लाइट्स और जेल के जरिये सूर्य का प्रकाश व पोषक तत्व जैसी चीजें दी जाएंगी। एक कैमरा पौधे की कोशिका के रंग और वृद्धि को रिकॉर्ड करेगा। अगर कोशिका का रंग बदलता है तो प्रयोग असफल माना जाएगा।
पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरीमेंट मॉड्यूल (पीओईएम-4) वास्तविक समय में पौधों की वृद्धि की निगरानी और विश्लेषण करने के लिए उन्नत निगरानी तकनीकों का उपयोग करता है। इनमें उच्च-रिजॉल्यूशन वाले कैमरे, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता ट्रैकिंग, तापमान विनियमन, आर्द्रता माप और मिट्टी की नमी का मूल्यांकन शामिल है।
स्पेडेक्स के साथ भेजे गए चेजर ने अंतरिक्ष में इन-ऑर्बिट स्पेस सेल्फी वीडियो रिकॉर्ड किया है। इसरो ने यह वीडियो अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जारी किया है। स्पेडेक्स का मुख्य मकसद अंतरिक्ष में दो उपग्रहों या यानों को सटीकता से जोड़ना (डॉकिंग) और अलग करना (अनडॉकिंग) है।
वीडियो चेजर के टारगेट की ओर बढ़ने के समय रिकॉर्ड किया गया। 2 जनवरी को दोनों की आपस में दूरी करीब 4.8 किमी थी। दोनों यानों के जुड़ने का रियल टाइम वीडियो भी जारी किया जाएगा।
इसरो ने पीओईएम-4 प्लेटफॉर्म पर अपनी पहली अंतरिक्ष रोबोटिक आर्म के सफल संचालन के साथ महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। रोबोटिक आर्म को रिलोकेटेबल रोबोटिक मैनिपुलेटर-टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर (आरआरएम-टीडी) के रूप में जाना जाता है। इसे भी स्पेडेक्स के साथ भेजा गया था। इसरो ने सोशल मीडिया पर साझा वीडियो में कहा कि आरआरएम-टीडी भारत की पहली अंतरिक्ष रोबोटिक आर्म पीओईएम-4 पर काम कर रही है।
वीडियो में रोबोटिक आर्म को विभिन्न कार्य करते हुए दिखाया गया है। फुटेज में आर्म की क्षमताओं को टेक्स्ट ओवरले के साथ दिखाया गया है जो इसके कार्य के प्रमुख चरणों को दर्शाता है।
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