‘‘इसरो जासूसी मामले में उच्च न्यायालय को अग्रिम जमानत याचिकाओं पर नए सिरे से गौर करने को कहा जाएगा’’

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह 1994 के इसरो जासूसी मामले में केरल उच्च न्यायालय को चार लोगों की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर नए सिरे से विचार करने के लिए कहेगा। यह मामला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित रूप से फंसाने से जुड़ा है।

Nov 28, 2022 - 23:15
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‘‘इसरो जासूसी मामले में उच्च न्यायालय को अग्रिम जमानत याचिकाओं पर नए सिरे से गौर करने को कहा जाएगा’’
उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 28 नवंबर 2022, (आरएनआई)। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह 1994 के इसरो जासूसी मामले में केरल उच्च न्यायालय को चार लोगों की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर नए सिरे से विचार करने के लिए कहेगा। यह मामला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित रूप से फंसाने से जुड़ा है।

उच्चतम न्यायालय गुजरात के पूर्व पुलिस प्रमुख (डीजीपी) आरबी श्रीकुमार, केरल के दो पूर्व पुलिस अधिकारियों - एस विजयन और थम्पी एस दुर्गा दत्त तथा सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारी पी एस जयप्रकाश को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अपील पर सुनवाई कर रहा था।

न्यायमूर्ति एम आर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हम जो प्रस्ताव कर रहे हैं वह यह है... हम उच्च न्यायालय से कहेंगे कि किसी भी तरह की टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना अग्रिम जमानत याचिकाओं पर नए सिरे से विचार करे।"

श्रीकुमार उस समय खुफिया ब्यूरो के उप निदेशक थे।

पीठ में न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि इस बीच उन्हें गिरफ्तारी से मिली सुरक्षा जारी रहेगी।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कुछ गलतियां की हैं और उसने आरोपी द्वारा लगाए गए व्यक्तिगत आरोपों पर विचार नहीं किया।

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने तर्क दिया कि मामला गंभीर है और यह किसी "निजी अपराध" से संबंधित नहीं है बल्कि "राष्ट्र के खिलाफ अपराध" है और उच्च न्यायालय को आरोपियों को अग्रिम जमानत नहीं देना चाहिए था।

तत्कालीन आईबी अधिकारी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उच्च न्यायालय के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि प्राथमिकी में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं था और जांच के लिए उनकी हिरासत मांगने का कोई आधार नहीं है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में सीबीआई की याचिका पर पिछले साल नवंबर में नोटिस जारी किया था।

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