इस बार चांद पर उतरने के बाद पृथ्वी पर लौटेगा भारतीय यान; 2025 तक अंतरिक्ष स्टेशन की तैयारी

चंद्रयान-4 मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को (वर्ष 2040 तक) चंद्रमा पर उतारने और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आधारभूत प्रौद्योगिकियों को विकसित करेगा। अंतरिक्ष केंद्र से जुड़ने/हटने, यान के उतरने, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी तथा चंद्र नमूना संग्रह और विश्लेषण के लिए आवश्यक प्रमुख प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया जाएगा। 

Sep 19, 2024 - 04:15
 0  486
इस बार चांद पर उतरने के बाद पृथ्वी पर लौटेगा भारतीय यान; 2025 तक अंतरिक्ष स्टेशन की तैयारी

नई दिल्ली (आरएनआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने नए चंद्र अभियान चंद्रयान-4 को मंजूरी दी। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतारने और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाने वाली प्रौद्योगिकी का विकास करना है। साथ ही चंद्रमा से नमूने लाकर उनका विश्लेषण करना है। साथ ही चांद और मंगल के बाद अब भारत ने शुक्र ग्रह की ओर कदम बढ़ाए हैं और सरकार ने वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) को भी मंजूरी दी है।

चंद्रयान-4 मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को (वर्ष 2040 तक) चंद्रमा पर उतारने और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आधारभूत प्रौद्योगिकियों को विकसित करेगा। अंतरिक्ष केंद्र से जुड़ने/हटने, यान के उतरने, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी तथा चंद्र नमूना संग्रह और विश्लेषण के लिए आवश्यक प्रमुख प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया जाएगा। चंद्रयान-4 मिशन के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए कुल 2,104.06 करोड़ रुपये की धनराशि की आवश्यकता है। लागत में अंतरिक्ष यान का निर्माण, एलवीएम-3 के दो लॉन्च वाहन मिशन, बाह्य गहन अंतरिक्ष नेटवर्क का समर्थन और डिजाइन सत्यापन के लिए विशेष परीक्षण आयोजित करना और अंत में चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के मिशन और चंद्रमा के नमूने एकत्रित कर उनकी पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी शामिल हैं। अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण की जिम्मेदारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की होगी। उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी से इस अभियान को मंजूरी मिलने के 36 महीने के अंदर पूरा कर लिया जाएगा।

सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित किए जाने की कोशिश की जाएगी। मिशन को विभिन्न उद्योगों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी इससे रोजगार की उच्च संभावना पैदा होगी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा। यह मिशन भारत को मानवयुक्त मिशनों, चंद्रमा के नमूनों की वापसी और चंद्रमा के नमूनों के वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण मूलभूत प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भर होने में सक्षम बनाएगा।

कैबिनेट ने अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) विकसित करने को मंजूरी दे दी है। यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और संचालन तथा 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के उतरने की क्षमता विकसित करने की सरकार की कल्पना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। एनजीएलवी की एलवीएम3 की तुलना में 1.5 गुना लागत के साथ वर्तमान पेलोड क्षमता का 3 गुना होगी और इसकी पुन: उपयोगिता भी होगी जिसके परिणामस्वरूप अंतरिक्ष और मॉड्यूलर ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम तक कम लागत में पहुंच होगी।

सरकार ने अमृतकाल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक विस्तारित दृष्टिकोण का खाका तैयार किया है। इसके तहत वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर लैंडिंग की परिकल्पना की गई है। इसे साकार करने के लिए गगनयान और चंद्रयान फॉलोऑन मिशनों की एक शृंखला की भी रूपरेखा तैयार की गई है।

विस्तारित गगनयान कार्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष केंद्र-1 यूनिट समेत 8 मिशन शामिल है। इसे दिसंबर 2028 तक पूरा किया जाना है। गगनयान कार्यक्रम पर खर्च को 11,170 करोड़ रुपये बढ़ाकर 20,193 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

चंद्रमा और मंगल पर फतह के बाद अब भारत की नजर शुक्र ग्रह पर है। पृथ्वी के सबसे निकटतम ग्रह शुक्र के अन्वेषण, वायुमंडल, भूविज्ञान को बेहतर ढंग से समझने और इसके घने वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए सरकार ने वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) को मंजूरी दी। माना जाता है कि शुक्र गृह का निर्माण पृथ्वी जैसी ही परिस्थितियों में हुआ है, यह इस बात को समझने का अनूठा अवसर प्रदान करता है कि ग्रहों का वातावरण किस प्रकार बहुत अलग तरीके से विकसित हो सकता है। अंतरिक्ष विभाग की ओर से पूरा किया जाने वाला वीनस ऑर्बिटर मिशन शुक्र ग्रह की कक्षा में वैज्ञानिक अंतरिक्ष यान की परिक्रमा के लिए परिकल्पना की गई है, ताकि शुक्र की सतह और उपसतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सके। माना जाता है कि शुक्र कभी रहने योग्य था और काफी हद तक पृथ्वी के समान था। शुक्र के परिवर्तन के अंतर्निहित कारणों का अध्ययन इस ग्रह और पृथ्वी दोनों ग्रहों के विकास को समझने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक होगा।

Follow      RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.