इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके शाहाबाद संसदीय सीट पर देश के दिग्गज नेताओं की रहती थी नजर
हरदोई (आरएनआई)सियासत में कभी योद्धा बदलते हैं।कभी नारा बदलते हैं।कभी दल बदलते हैं।तो कभी रणक्षेत्र ही बदल जाते हैं।ऐसे बदलाव में बदले एक रणक्षेत्र शाहाबाद संसदीय क्षेत्र की कहानी बतायेंगे। इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके संसदीय क्षेत्र शाहाबाद का कभी दिल्ली दरबार में दबदबा कायम था। सन 2008 में हुये परिसीमन में शाहाबाद संसदीय सीट का वजूद समाप्त कर इस क्षेत्र को हरदोई संसदीय क्षेत्र में जोड़ दिया गया। इससे पहले इस संसदीय सीट में विधानसभा सभा शाहाबाद, पिहानी,बावन, के अलावा लखीमपुर-खीरी की विधानसभा मोहम्मदी,व हैदराबाद (गोला) को जोड़कर सृजन किया गया था। इस संसदीय सीट पर कुल 11बार चुनाव हुए। 1962 में पहली बार वजूद में आये शाहाबाद संसदीय सीट पर पहले चुनाव में जनसंघ से युवराज दत्त पहले सांसद बने।1967के चुनाव में नवसृजित संसदीय सीट को फिर समाप्त कर दिया गया। 1971मे पुनः अस्तित्व में आयी।1971के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने धर्मगज सिंह को चुनाव मैदान में उतारा।धर्मगज सिंह ने कांग्रेस को जीत दिलाते हुए इस सीट कांग्रेस का झंडा गाड़ दिया। सन1977के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे गंगा भक्त सिंह ने कांग्रेस के विजयीध्वज को उखाड़ कर अपनी जीत दर्ज करायी।1980के चुनाव में फिर वापसी करते हुए कांग्रेस के धर्मगज सिंह सांसद चुने गये।इसके बाद 1984,1989 के लोकसभा चुनाव में धर्मगज सिंह लगातार जीतते रहे और सांसद बने रहे।1991के चुनाव में भाजपा से चुनाव मैदान में उतरे सुरेंद्र पाल पाठक ने कांग्रेस के धर्मगज सिंह को करारी पटखनी देते हुए सीट भाजपा की झोली में डाल दी।1996के चुनाव में इस सीट पर बीएसपी ने इलियास आजमी को प्रत्याशी घोषित किया । इलियास आजमी ने हांथी पर सवार होकर भाजपा का कमल उखाड़ कर सीट बीएसपी की झोली में डाल दी।1998मे भाजपा ने राघवेन्द्र सिंह को चुनावी मैदान में उतारा। उन्होंने सबको धता बताते हुए भाजपा के टिकट पर दिल्ली पहुंच गए।1999के चुनाव में बसपा ने दाउद अहमद को प्रत्याशी घोषित किया उन्होंने इस सीट को फिर भाजपा से छीन लिया।2004के चुनाव में बसपा से इलियास आजमी चुने गये।2004 तक अस्तित्व में रही शाहाबाद लोकसभा सीट 2008के परिसीमन में समाप्त कर दी गयी।तथा इस क्षेत्र को हरदोई संसदीय क्षेत्र में जोड दिया गया। इस सीट पर देश के दिग्गजों की नजर रहा करती थी।बड़े बड़े कांग्रेसियों के अलावा अटल विहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज भी इस सीट पर अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए आते रहे है।
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