आरजी कर मामले में नया मोड़, पीड़िता के माता-पिता नहीं चाहते आरोपी को मिले फांसी की सजा

आरजी मामले में संजय को दोषी ठहराया गया था और उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई। इस पर बंगाल सरकार और सीबीआई ने संजय को फांसी की सजा देने के लिए अलग-अलग हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।

Jan 27, 2025 - 17:31
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आरजी कर मामले में नया मोड़, पीड़िता के माता-पिता नहीं चाहते आरोपी को मिले फांसी की सजा

कोलकाता (आरएनआई) आरजी कर मामले में सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में एक नया मोड़ आया। पीड़िता के माता-पिता इस मामले में दोषी संजय राय की फांसी की सजा नहीं चाहते। उन्होंने कोर्ट को इसका कारण भी बताया। सोमवार को कोर्ट में न्यायाधीश देवांशु बसाक और न्यायाधीश मोहम्मद शब्बर राशिदी की डिवीजन बेंच में राज्य की याचिका स्वीकार्य है या नहीं, इस पर भी सुनवाई हुई। अभी इस पर कोई फैसला नहीं आया है।

आरजी मामले में संजय को दोषी ठहराया गया था और उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई। इस पर बंगाल सरकार और सीबीआई ने संजय को फांसी की सजा देने के लिए अलग-अलग हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। पीड़िता के माता-पिता ने कहा, वे केवल उसी मामले के संदर्भ में संजय की उच्चतम सजा नहीं चाहते। सुनवाई के दौरान उनके वकील शमीम अहमद ने कहा, राज्य और सीबीआई की याचिकाओं पर हमें कुछ नहीं कहना है। उनकी याचिका स्वीकार्य होगी या नहीं, यह कोर्ट तय करेगा। राज्य और केंद्र की याचिका के संदर्भ में हम संजय की उच्चतम सजा नहीं चाहते हैं।

कोर्ट के बाहर पीड़िता के पिता ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि अकेले संजय ही नहीं, जो भी इस घटना में शामिल हैं, उनको सामने लाया जाए। सभी को कठोर सजा दी जाए। इसलिए इस मामले में हम उसकी उच्चतम सजा नहीं चाहते। पीड़िता के पिता ने कहा, राज्य पुलिस ने हमारा विश्वास तोड़ा है। सीबीआई भी जांच नहीं कर सकी, यह बात निचली अदालत में भी देखी गई थी। मेरी बेटी के लिए न्याय देने वालों पर हम विश्वास करेंगे।

 राज्य सरकार ने सियालदह कोर्ट के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए संजय को मृत्युदंड देने की याचिका दायर की थी। बाद में सीबीआई ने राज्य के मामले पर सवाल उठाए थे। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई जानना चाहती थी कि क्या राज्य को इस मामले में याचिका दायर करने का अधिकार था। इसके बाद सीबीआई ने भी इसी मामले में उच्च अदालत में याचिका दायर की।

इस पर सोमवार को सुनवाई हुई, राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्त ने बताया कि सीआरपीसी (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर) की धारा 377 और 378 में कहा गया है कि जांच एजेंसी के अलावा राज्य भी याचिका दायर कर सकता है। इस मामले में ‘एंड’ शब्द जोड़कर राज्य को यह अधिकार दिया गया था। लेकिन केंद्र के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने कहा कि भारतीय दंड संहिता के नए कानून में सीआरपीसी की उन दोनों धाराओं का प्रभाव नहीं है, इसलिए इस मामले में वे धाराएं लागू नहीं होतीं। कोर्ट में सीबीआई ने यह भी बताया कि आरजी कर कांड के केस डायरी सहित सभी दस्तावेज सीबीआई के पास हैं, जबकि राज्य के पास कोई दस्तावेज नहीं हैं। इस मामले में राज्य का कोई योगदान नहीं था, केवल सीबीआई के वकील वहां थे। अचानक राज्य अब रुचि दिखा रहा है।
 
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश बसाक ने एएसजी से पूछा, निचली अदालत के फैसले के बाद अगर केंद्र ने कोई याचिका दायर नहीं की होती, तो क्या राज्य को इस मामले में कुछ करने का अधिकार नहीं होता। क्या फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती थी। एएसजी ने जवाब दिया कि इस मामले में राज्य पुनर्विचार की याचिका दायर कर सकता था। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला स्थगित कर दिया।

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