'आम्रपाली परियोजनाओं में गैर कब्जे वाले फ्लैट बेचें'; अदालत ने कहा- यूपी सरकार पर्यावरणीय मंजूर
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि, आम्रपाली परियोजनाओं में कब्जा नहीं लेने वाले खरीदारों के फ्लैट बेचे जाएं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने प्राधिकरणों को अतिरिक्त फ्लैट निर्माण की मंजूरी जल्द देने का भी निर्देश दिया है। वहीं यूपी सरकार को जरूरी पर्यावरणीय मंजूरी देने के लिए भी शीर्ष अदालत ने कहा है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली बिल्डर्स की परियोजनाओं में एनबीसीसी की ओर से पूरा किए गए फ्लैटों का यदि उनके खरीदार कब्जा नहीं लेते तो इन फ्लैटों की बुकिंग रद्द कर उन्हें दूसरे लोगों को बेच दिया जाएगा। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने आम्रपाली मामले में कोर्ट रिसीवर नियुक्त किए गए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से मामले में ताजा स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा। पीठ ने कहा, हम कोर्ट रिसीवर से आग्रह करते हैं कि उनके और एनबीसीसी की ओर से किए गए प्रयासों के बावजूद कब्जा लेने के लिए नहीं पहुंचने वाले खरीदारों के फ्लैटों की ताजा स्थिति रिपोर्ट पेश करें।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रविंदर कुमार ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने आम्रपाली के गोल्ड होम प्रोजेक्ट में अतिरिक्त फ्लैट बनाने की अनुमति दे दी है और अन्य पांच परियोजनाओं में ऐसी अनुमति के लिए एनबीसीसी की ओर से कुछ औपचारिकताओं को पूरा करना बाकी है। एनबीसीसी के वकील सिद्धार्थ दवे ने कोर्ट को बताया कि इन जरूरी औपचारिकताओं में पोर्टल पर नक्शे को अपलोड करना शामिल है और चार परियोजनाओं, सेंचुरियन पार्क, लीसर वैली, लीसर पार्क और ड्रीम वैली के नक्शे को अपलोड कर दिया गया है। पीठ ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि औपचारिकता के पूरा होने को देखते हुए इन चार परियोजनाओं के लिए जरूरी मंजूरी प्रदान करे।
नोएडा के क्षेत्राधिकार में आने वाले सिलिकॉन सिटी प्रोजेक्ट के लिए पीठ ने प्राधिकरण को निर्देश दिया कि अतिरिक्त फ्लैटों के निर्माण के लिए मंजूरी की प्रक्रिया तेज करे। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि इन परियोजनाओं के लिए जरूरी प्रर्यावरणीय मंजूरी जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी दे। पीठ ने 29 अगस्त, 2024 को नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों को निर्देश दिया था कि आम्रपाली की छह परियोजनाओं में अतिरिक्त फ्लैट निर्माण के लिए जरूरी मंजूरी निर्माण योजना प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर दे ताकि इन परियोजनाओं को पूरा करने में आ रही पैसे की दिक्कत दूर की जा सके।
दवे ने पीठ को सूचित किया कि परियोजना को पूरा करने के लिए एनबीसीसी को और 500 करोड़ रुपये की जरूरत है। यह राशि उस 343 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है जो कॉरपोरेशन पहले ही निवेश कर चुका है।
घर खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहोटी ने कहा कि उनके मुवक्किल और पैसा नहीं दे सकते क्योंकि बैंकों का समूह पहले ही 1600 करोड़ रुपये एनबीसीसी को दे चुका है। इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 650 करोड़ रुपये इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए दिए हैं। लाहोटी ने आरोप लगाया कि एनबीसीसी ने 20 हजार फ्लैट पूरे करने का दावा किया लेकिन अब तक खरीदारों को सिर्फ 7 हजार फ्लैट ही दिए गए हैं। अन्य फ्लैटों का कोई पता नहीं है।
वेंकटरमणी ने लाहोटी से अनुरोध किया कि ऐसी सूचना पीठ के सामने न रखें क्योंकि इसमें तथ्यात्मक गलती है। उन्होंने कहा कि 3 से 4 हजार घर खरीदार अपने फ्लैटों का कब्जा लेने पहुंचे ही नहीं हैं। इन खरीदारों तक पहुंचने के लिए लगातार प्रयास किए गए। उन्होंने अलग-अलग परियोजनाओं के हिसाब से ऐसे फ्लैटों की जानकारी देने के लिए विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में देने का प्रस्ताव रखा।
शीर्ष कोर्ट ने यह देखते हुए कि आम्रपाली की परियोजनाओं से संबंधित मुख्य याचिका में कई मांगों का समाधान हो चुका है कई लंबित याचिकाओं का निपटारा कर दिया। हालांकि पीठ ने यह भी कहा कि निपटारा किए गए याचिकाओं के याचिकाकर्ता कानून के तहत उपलब्ध अन्य समाधान अपना सकते हैं।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?