आजादी से आज तक पक्के मार्ग को तरस रहा दलित बाहुल्य कन्हौआ गांव, एमएलसी अशोक अग्रवाल ने उच्च सदन में उठाया मुद्दा
हरदोई (आरएनआई) विकासखंड कछौना की ग्राम सभा नारायण देव का मजरा कन्हौआ के लिए कोई संपर्क मार्ग न होने के कारण आजादी से ग्रामीणों के सामने आवागमन की ज्वलंत समस्या बनी हुई है। इस ज्वलंत मुद्दे को सदस्य विधान परिषद अशोक अग्रवाल ने विधानसभा में उठाया बताते चलें कि विकासखंड कछौना की ग्राम सभा नारायण देव का ग्राम कन्हौआ है। जिसकी आबादी लगभग 400 है। दलित बाहुल्य ग्राम को पहुंचने के लिए कोई पक्का मार्ग नहीं है। एक तरफ बबुरहा से कन्हौआ तक कच्चा मार्ग है, जिसकी दूरी लगभग एक किलोमीटर है। कन्हौआ के नौनिहालों के सामने विद्यालय आने के लिए काफी परेशानी होती है। अक्सर नौनिहाल रेल की पटरियों पर जान जोखिम में डालकर विद्यालय जाते हैं। यह कच्चा मार्ग होने के कारण गहरे गड्ढों में पानी भरा जाता है। दूसरी तरफ समसपुर से कन्हौआ मार्ग है। जिसके मध्य में बेहता नाला पड़ता है। इस बरसाती नाला में पुलिया न होने से आवागमन बंद रहता है। अक्सर ग्रामीणों के डूबने की घटना प्रकाश में आती है। रेल पटरियों पर से गुजरने के कारण ग्राम बबुरहा का नौनिहाल छात्र कमल पुत्र शिव कुमार की कई वर्ष पूर्व ट्रेन हादसे में मौत हो चुकी है। अक्सर गांव में इमरजेंसी वाहन 112, एंबुलेंस सेवा 108, 102 नहीं पहुंच पाते हैं। जिससे घायलों व गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी होती है। ग्रामीण गोविंद, वीरा सिंह, मोनू कुमार, अखिलेश कुमार, राधा बक्स सिंह, आत्माराम यादव आदि लगातार इस ज्वलंत समस्या के लिए शासन प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। सरकारी सिस्टम की ग्रामवासी दंश झेल रहे हैं। गांव को सड़क से जोड़ने पर विकास की रास्ते खुल जाते हैं। परंतु ग्राम कन्हौआ के ग्रामीण आजादी से आज तक गांव को संपर्क मार्ग न होने की समस्या को झेलने को विवश हैं। जिसका खामियाजा ग्रामीण ग्रामीणों को उठाना पड़ता है। जिसके कारण ग्रामीणों के युवाओं की शादी भी प्रभावित होती है। वही ग्रामीणों के नौनिहालों की शिक्षण कार्य प्रभावित होते हैं। कई बार इस ज्वलंत समस्या के लिए ग्रामीण आंदोलन कर चुके हैं, परंतु कई दशक से समस्या के कारण दंश झेलने को विवश है। इस ज्वलंत समस्या को क्षेत्रीय सदस्य विधान परिषद अशोक अग्रवाल ने विधानसभा में मुद्दा उठाया, जिसके बाद विभागीय अधिकारी हरकत में आ गए। ग्रामीणों में संपर्क मार्ग की उम्मीद जग गई हैं।
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