आज से शुरू होगा मां कामाख्या देवी मंदिर में अम्बुबाची मेला
मेले की सभी तैयारी पूरी हो चुकी हैं। अम्बुबाची मेला कामाख्या मंदिर में आयोजित एक वार्षिक हिंदू मेला है। असम सरकार और कामाख्या मंदिर प्रबंधन समिति ने अम्बुबाची महोत्सव के लिए सभी प्रबंध किए हैं। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
गुवाहाटी (आरएनआई) पूरे भारत में देवी की 51 शक्तिपीठ हैं, जिसमें से एक कामाख्या देवी का मंदिर भी हैं। इस मंदिर में हर साल मेले का आयोजन होता है। देशभर से लाखों लोग इसमें शामिल होने आते हैं। इस साल यह मेला असम के गुवाहाटी में आज से शुरू होने वाला है। गौरतलब है, यहां कामाख्या देवी को मां दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि यहां पर माता सती की योनि का भाग गिरा था। भक्त यहां देवी सती की गिरी हुई योनि (गर्भ) की पूजा करने के लिए आते हैं जो देवी कामाख्या के रूप में पूजी जाती हैं।
इस बार कामाख्या धाम में महाअम्बुबाची मेले का आयोजन 22 जून से किया जाएगा। यह 26 जून तक चलेगा। देवी का यह शक्तिपीठ असम के नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी शहर से सात-आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मेले की सभी तैयारी पूरी हो चुकी हैं। अम्बुबाची मेला कामाख्या मंदिर में आयोजित एक वार्षिक हिंदू मेला (मेला) है। असम सरकार और कामाख्या मंदिर प्रबंधन समिति ने अम्बुबाची महोत्सव के लिए सभी प्रबंध किए हैं। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
असम के पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने कहा कि सभी संबंधित विभागों ने वार्षिक उत्सव के लिए तैयारियां कर ली हैं। उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार और विभिन्न विभाग इस पर काम कर रहे हैं। 26 और 27 जून को कामाख्या मंदिर के कपाट खुलेंगे। इस दिन मंदिर में दर्शन के लिए कोई वीआईपी पास नहीं होगा।
इससे पहले ऐतिहासिक मंदिर के प्रधान पुजारी कबींद्र प्रसाद सरमा-दोलोई (मुख्य पुजारी) ने बताया कि इस वर्ष अम्बुबाची मेले की प्रवृत्ति 22 जून यानी आज सुबह पौने बजे की जाएगी और प्रवृत्ति के बाद मंदिर का मुख्य द्वार तीन दिन और तीन रातों के लिए बंद कर दिया जाएगा।
कबींद्र प्रसाद शर्मा ने कहा, 'अम्बुबाची मेले की निवृत्ति 26 जून को की जाएगी और मंदिर का मुख्य द्वार 26 जून की सुबह खोला जाएगा। निवृत्ति के बाद सभी अनुष्ठान और पूजा की जाएगी। असम सरकार और जिला प्रशासन ने भी सुरक्षा, परिवहन, भोजन आदि सहित अपना सहयोग दिया है। पिछले साल, अम्बुबाची मेले के दौरान लगभग 25 लाख भक्तों ने मंदिर का दौरा किया था और हमें उम्मीद है कि इस साल यह संख्या बढ़ जाएगी।
अम्बुबाचीका अर्थ है पानी से बात करना। इसका यह भी अर्थ है कि इस महीने में होने वाली बारिश धरती को उपजाऊ और प्रजनन के लिए तैयार बनाती है। इस अवधि के दौरान दैनिक पूजा-पाठ बंद कर दिया जाता है। सभी कृषि कार्य जैसे खुदाई, जुताई, बुवाई और फसलों की रोपाई वर्जित है। विधवाएं, ब्रह्मचारी और ब्राह्मण इन दिनों पके हुए भोजन से परहेज करते हैं। चौथे दिन, अम्बुबाची खत्म होने के बाद, घर के सामान, बर्तन और कपड़े धोए जाते हैं, पवित्र जल छिड़क कर साफ और शुद्ध किए जाते हैं, सफाई और अन्य अनुष्ठान करने के बाद देवी कामाख्या की पूजा शुरू होती है। इसके बाद मंदिर में प्रवेश शुभ माना जाता है।
अम्बुबाची मेले में देश भर से बड़ी संख्या में तांत्रिक आते हैं क्योंकि कामाख्या मंदिर को तांत्रिक शक्तिवाद का केंद्र कहा जाता है। लाखों तीर्थयात्री, जिनमें पश्चिम बंगाल के साधु, संन्यासी, अघोरी, बाउल, तांत्रिक, साध्वी आदि शामिल हैं, आध्यात्मिक गतिविधियों का अभ्यास करने आते हैं। तांत्रिको के लिए अम्बूवाची का समय सिद्धि प्राप्ति का अनमोल समय होता है।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?