आचार्य कुटी गौ शाला पर विश्व प्रसिद्ध रासलीला शुरू, प्रथम दिवस निकुंज लीला का शानदार हुआ मंचन, सैकड़ो की संख्या में लोग हुए शामिल
गुना (आरएनआई) श्री राम प्रपन्नाचार्य जी वृंदावन के सानिध्य में गौ सेवा परिवार द्वारा बजरंगगढ़ स्थित आचार्य कुटी गौशाला में श्रीमद् भागवत कथा के साथ साथ ही श्री महालक्ष्मी नारायण यज्ञ एवं सुंदर श्री रासलीला का आयोजन भी किया जा रहा है। भागवत कथा के क्रम में मंगलवार से विश्व प्रसिद्ध रासलीला शुरू की गईं। श्री निकुंज बिहारी रासलीला वृंदावन के रासाचार्य द्वारा निपुण कलाकारों के साथ लीला का शानदार मंचन किया जा रहा है। रासलीला के प्रथम दिवस में निकुंज लीला का मंचन किया गया।
निकुंज लीला का वर्णन करते हुए रसाचार्य जी ने बताया कि केवल श्री राधा कृष्ण की अष्ट-महासखियों को एवं उनकी कृपा प्राप्त जीवों को निकुंज का रस मिलता है। पुराणों के अनुसार, मोहना टेर घाटा से लेकर आदि-बद्री घाट तक, यमुना नदी की सीमा से लगे पूरे क्षेत्र को सेवा कुंज या निकुंज वन कहा जाता था। इसलिए, कालिया-घाट, मदन-मोहन, इमली ताला, राधा दामोदर, श्रृंगार वात, गोविंदा घाट, चेहाना घाट, केशी घाट, निधुवन, झूलनवन, गोपीनाथ, दिरा समीरा, वामसी वात, गोपीश्वर, ब्रह्म-कुंड, गोविंदा जैसे स्थान -कुंड और गोविंदजी योग-पीठ को भी निकुंज वन के भीतर अलग-अलग लीला-स्थान माना जाता है।
वन उपवन में, युगल सरकार रास लीलाएँ करते हैं। उसके बाद कृष्ण ने राधारानी के कमल पैरों की मालिश की और उन्हें लाल यवक (सिंदूर) से सजाया और उन्होंने उनके लंबे काले बालों को चोटियों में बांधा, और उनके चंद्रमा जैसे चेहरे पर सौंदर्य प्रसाधन लगाए, और उन्हें रेशमी वस्त्र और मणि-जड़ित आभूषण पहनाए। रास-नृत्य समाप्त होने के बाद गोपियाँ फूलों की पंखुड़ियों से बना एक नरम बिस्तर तैयार करती थीं और राधा और कृष्ण को एक साथ लेटने और आराम करने के लिए आमंत्रित करती थीं। वह संपूर्ण क्षेत्र जहां दिन-रात ये दिव्य लीलाएं होती रहती हैं, निकुंज वन या सेवा कुंज कहते है। ललीला को देखने गुना जिला सहित आसपास के जिलों से सैकड़ो की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। श्री रासलीला 29 दिसंबर तक चलेगी। गौ सेवा परिवार ने सभी धर्म प्रेमी बंधुओ से सुंदर रासलीला में पधार कर लीला का आनंद लेने की अपील की है।
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