आगरा में 400 साल पुरानी 'औरंगजेब हवेली' को तोड़ रहा था बिल्डर, डीएम के आदेश पर बुलडोजर पर ब्रेक

औरंगजेब की हवेली के नाम से प्रसिद्ध मुबारक मंजिल को तोड़े जाने पर रोक लग गई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी एक्स पर पोस्ट किया था। डीएम ने अब यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। साथ ही राजस्व विभाग की तरफ से जांच शुरू की जाएगी।

Jan 4, 2025 - 14:00
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आगरा में 400 साल पुरानी 'औरंगजेब हवेली' को तोड़ रहा था बिल्डर, डीएम के आदेश पर बुलडोजर पर ब्रेक

आगरा (आरएनआई) उत्तर प्रदेश के आगरा में 17वीं शताब्दी में बनी मुगलकालीन विरासत मुबारक मंजिल को तोड़े जाने पर रोक लग गई है। औरंगजेब की हवेली के नाम से प्रसिद्ध इस ऐतिहासिक इमारत को राजनीतिक कनेक्शन वाले एक बिल्डर की तरफ से तोड़े जाने की खबर से हड़कंप मच गया था। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी एक्स पर पोस्ट किया था। डीएम ने अब यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। साथ ही राजस्व विभाग की तरफ से जांच शुरू की जाएगी।

औरंगजेब की हवेली को तोड़े जाने की खबर को आगरा के निवासियों और इतिहासविदों ने चौंकाने वाला करार दिया था। जानकारी होने पर एसडीएम सचिन राजपूत की अगुवाई में पुरातत्व विभाग की टीम और पुलिस मौके पर पहुंची। डीएम अरविंद मलप्पा बांगरी ने जानकारी देते हुए बताया कि जांच की रिपोर्ट पेश की जाएगी। साथ ही प्रॉपर्टी को लेकर किए जा रहे दावे की जांच भी की जाएगी।

सितंबर में राज्य पुरातत्व विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर साइट को एक महीने के भीतर संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने पर आपत्तियां मांगी थीं, लेकिन कोई आपत्ति नहीं जताई गई। दो सप्ताह पहले लखनऊ के अधिकारियों ने संरक्षण उपाय शुरू करने के लिए साइट का दौरा किया। उनके दौरे के तुरंत बाद विध्वंस शुरू हो गया, जिससे विरासत खंडहर हो गई।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि एक बिल्डर ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से विध्वंस अभियान किया। इसके बाद साइट से 100 ट्रैक्टर से अधिक मलबा हटाया गया। मुबारक मंजिल का इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है, जिसका विवरण ऑस्ट्रियाई इतिहासकार एब्बा कोच की पुस्तक 'द कंलीट ताजमहल एंड द रिवरफ्रंट गार्डन्स ऑफ आगरा' में दिया गया है।

औरंगजेब के शासनकाल के दौरान निर्मित यह भवन शाहजहां, शुजा और औरंगजेब सहित प्रमुख मुगल हस्तियों के निवास के रूप में कार्य करता था। ब्रिटिश शासन के तहत संरचना को संशोधित किया गया, जो एक सीमा शुल्क घर और नमक कार्यालय बन गया। 1902 तक इसे तारा निवास के नाम से जाना जाता था।

आगरा शहर के 1868 के नक्शे में इस मुबारक मंजिल को पोंटून पुल के पास दिखाया गया है, जहां वर्तमान में लोहे का पुल है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अब तक संरचना का 70 प्रतिशत हिस्सा नष्ट हो चुका है।

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