आगरा: बीटेक का टॉपर निकला डिजिटल अरेस्ट का मास्टरमाइंड, चार महीने में 4 करोड़ की ठगी
बीटेक में टॉप करने वाला अकरण डिजिटल अरेस्ट गैंग का मास्टरमाइंड निकला। पुलिस ने उसके साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इस गैंग ने महज चार महीने में चार करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया है।
आगरा (आरएनआई) खुद को सीबीआई, ईडी और पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने वाले गैंग पर साइबर क्राइम थाना पुलिस ने शिकंजा कसा है। मास्टरमाइंड सोहेल अकरम सहित चार को गिरफ्तार किया गया है। सोहेल चेन्नई की एसआरएम यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक पास की है, वो कॉलेज का टॉपर रहा है। अकरम दिल्ली और गुरुग्राम में कंपनी खोलकर गैंग चला रहा था। फर्जी दस्तावेज से खुले बैंक खातों और सिम कार्ड के माध्यम से ठगी करते थे। फर्जी एकाउंट में रकम ट्रांसफर करने के बाद निकाल लेते थे। पिछले चार महीने में 4 करोड़ की ठगी कर चुके हैं।
डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि राज अपार्टमेंट जसोरिया एंक्लेव, फतेहाबाद मार्ग निवासी रेलवे के सेवानिवृत्त मुख्य टिकट निरीक्षक नईम बेग को 13 अगस्त को डिजिटल अरेस्ट किया गया था। मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स ट्रैफिकिंग का केस बताकर 15 लाख रुपये ठगे गए थे। एसीपी हरीपर्वत आदित्य सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम लगाई गई।
बृहस्पतिवार को सिकंदरा के फैक्टरी एरिया से 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें दिल्ली के दरियागंज निवासी मोहम्मद राजा रफीक (मूलरूप से भीलवाड़ा, राजस्थान), बागपत के पारस विहार काॅलोनी निवासी मोहम्मद दानिश, उसका भाई मोहम्मद कादिर और असम के करीमगंज निवासी मोहम्मद सोहेल हैं। सोहेल मास्टरमाइंड है।
पुलिस जांच में पता चला कि आरोपियों ने जिस खाते में 15 लाख रुपये जमा कराए थे, उसमें 24 घंटे में 2.70 करोड़ रुपये विभिन्न खातों में जमा कराने के बाद निकाले गए थे। पुलिस ने इन खातों की डिटेल निकलवाई। रकम निकालने के बाद खाते बंद भी कराए गए थे। इन खातों को मजदूर वर्ग के लोगों को रुपयों का लालच देकर खोला गया था। फर्जी आईडी लगाई गई थीं। काॅल करने के लिए सिम भी फर्जी आईडी के थे। इन नंबरों से व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर काॅल किए जाते थे। लोगों को भय दिखाकर ठगते थे। रकम आने के बाद अलग-अलग एकाउंट में ट्रांसफर करने के बाद निकाल लेते थे।
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उनके साथ विवेक कुमार सिंह, गाैरव शर्मा, महेश शिंदे भी हैं। गिरोह के हर सदस्य का काम अलग-अलग था। कोई खाते खुलवाकर एटीएम कार्ड और चेक बुक उपलब्ध कराता था। कोई रकम निकालने जाता था। लोगों से बात करने से लेकर फर्जी गिरफ्तारी प्रपत्र, नियुक्तिपत्र आदि बनाने से लेकर अलग-अलग काम सदस्य करते थे। वह तकरीबन 4 महीने में डिजिटल अरेस्ट से ही 4 करोड़ रुपये की ठगी कर चुके हैं। पुलिस अब आरोपियों के बैंक खातों और संपत्ति की भी जानकारी जुटा रही है।
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों से 1 लैपटाॅप, 1 मैकबुक, 2 कीपेड मोबाइल, 5 स्मार्ट फोन, 2 आईफोन बरामद किए हैं। इसके अलावा आरोपियों के पास से फर्जी नियुक्तिपत्र, गिरफ्तारी प्रपत्र आदि बरामद किए हैं।
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