आग से हर साल नष्ट हो रहे 37 करोड़ हेक्टेयर जंगल, जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ेगी आग की व्यापकता
हर साल लगभग 34 करोड़ से लेकर 37 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र जंगल की आग की चपेट में आता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) जंगल की आग दुनिया के लिए भारी मुसीबत बनती जा रही है। हर साल लगभग 34 करोड़ से लेकर 37 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र जंगल की आग की चपेट में आता है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन की वजह से सूखा, तापमान में वृद्धि और तेज हवाएं बढ़ेंगी।
इससे जहां आग की व्यापकता बढ़ेगी, वहीं आग लंबे समय तक रहने की भी आशंका है। इसके चलते सदी के अंत तक जंगलों में लगने वाली भयंकर आग (एक्सट्रीम फायर) की घटनाओं में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। जंगल की आग दुनिया के लिए भारी मुसीबत बनती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार, हर साल लगभग 34 करोड़ से लेकर 37 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र जंगल की आग की चपेट में आता है। लगभग 34 करोड़ से लेकर 37 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र जंगल की आग की चपेट में आता है।
एफएओ के वानिकी प्रभाग के निदेशक झिमिन वू ने कहा कि हम जंगल की आग की चुनौती से कैसे निपटते हैं अब यह बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा की नए दिशा निर्देशों में जंगल की आग से निपटने के लिए विज्ञान के साथ-साथ पारंपरिक तरीकों को भी पूरी तरजीह दी गई है। झिमिन ने कहा, आग लगने से पहले, आग के दौरान व उसके बाद तक कार्रवाई करनी होगी। जंगलों या उसके आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों को जागरूक कर करना होगा। इससे आग पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
एएफओ ने जारी किए दिशानिर्देश : आग लगने की घटनाओं पर चिंता जताते हुए एएफओ ने जंगल की आग को रोकने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। एफएओ के अनुसार जंगल की आग जब भयंकर हो जाती है तब वह सतत विकास को भी प्रभावित करती है। जैसे कि समुदायों की आजीविका को खतरे में डालती है और बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन उत्पन्न करती है। इस आग से अधिकांश वर्षों में सीधे तौर पर कई सौ लोग मर जाते हैं व हजारों लोगों को हमेशा के लिए विस्थापित कर दिया जाता है।
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