आखिर अवैध खनिज उत्खनन पर लगाम क्यो नही है सख्त!
क्योकि सबका नजराना फिक्स बताया जाता है!
गुना। जिला प्रशासन के आला अफसरों के साथ महकमे के नुमाइन्दो के सामने ओर नज़र में तो सबके सब है। लेकिन जिम्मेदारों की नज़र पर नज़राने की ऐनक लगी है। क्योकि इनसे पुलिस महकमे ओर खनिज विभाग के साथ इनके OIC का भी नज़राना फिक्स सुविग सूत्रों से बताया जाता है वह भी ऐसा वैसा नहीं, बल्कि ऐसा कि नज़रें चौंधियां जाएं। म्याना थाना क्षेत्र के उकावद, केंट थाना क्षेत्र के बरखेड़ी, ढोंगा, बजरंगगढ़ थाना क्षेत्र के पिपरौदा आदि सिंध नदी के घाट पर पनडुब्बियों से बजरी निकल रही है।
पूरा सिस्टम जमा हुआ है। बजरी पकड़ने के जिम्मेदारों की गाड़ियों के रूट की वॉट्सएप लोकेशन बजरी निकालने वालों पर रहती है। कलेक्ट्रेट स्थित खनिज कार्यालय से गाड़ी किस ओर निकली इसका पता घाट पर रहता है। थानों से पुलिस की गाड़ी रेत घाट की ओर निकलते ही घाट पर सक्रिय माफिया एलर्ट हो जाता है।
घाट पर जब तक दबिश पहुंचती है तब तक माफिया पनडुब्बी को नदी में तैरा कर जेसीबी और ट्रेक्टर ट्रॉलियों समेत गायब हो जाता है। इधर घाट पर दबिश की खानापूर्ति भी हो जाती है। प्रतिवेदन आता है कि मौके पर कोई नहीं मिला या सूचना ही झूठी थी। इस तरह अपनी तरफ से पूरी हिकमत अमली दिखा कर, दर्शा दिया जाता है कि हम मुस्तैद हैं।
दरअसल, पूरा खेल नूरा कुश्ती का है। इस नूरा कुश्ती को खेलने के एवज में खिलाड़ी भारी भरकम नज़राना लेते हैं। घाट से बजरी फावड़ों से नहीं निकलती। भारी मात्रा में गहरे पानी से बजरी निकालने के लिए पनडुब्बी मशीन, जेसीबी, ट्रेक्टर ट्रॉलियां और मुखबिरों का अच्छा खासा पहरा लगता है। पहरा इसलिए कि जिन लोगों को सेट कर रखा है उनके अलावा कोई और कार्यवाही करने न आ जाए।
हालांकि पकड़े हो भी जाएं, तो भी क्या फर्क पड़ता है। गांधी जी का युग है, अभी दो दिन पहले ही पांच पेटी में खेला हो गया। बोले तो सब कुछ वैध। इसलिए जो चल रहा है बढ़िया है।
मामा जी कहते ही हैं,,,
रामजी की चिरैया रामजी को खेत
खाओ री चिरैया भर भर पेट,,
लेकिन दु:खद पहलू ये है कि यहां के मगरमच्छ जितना पेट भर रहे हैं उतना ही उनका पेट बड़ा होता जा रहा है। और चिरैया रोजी रोटी के संघर्ष में अपने हिस्से का निवाला भी इन मगरमच्छों को देने मजबूर हैं l
What's Your Reaction?