आईएमएफ ने पाकिस्तान के बजटीय अनुमानों में 2,000 अरब रुपये का उल्लंघन पाया
नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के साथ अपनी महत्वपूर्ण वार्ता से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने इसके बजटीय अनुमानों में 2,000 अरब रुपये का उल्लंघन पाया है।
इस्लामाबाद, 28 जनवरी 2023, (आरएनआई)। नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के साथ अपनी महत्वपूर्ण वार्ता से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने इसके बजटीय अनुमानों में 2,000 अरब रुपये का उल्लंघन पाया है।
आईएमएफ के शुरुआती आकलन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 के बजटीय अनुमानों में 2,000 अरब रुपये से अधिक का उल्लंघन पाया गया है, जिसके चलते इस देश का बजट घाटा और बढ़ सकता है।
पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अधिकारी विस्तारित कोष सुविधा के तहत नौवीं समीक्षा के लिए मंगलवार से बातचीत शुरू करने वाले हैं। इस दौरान राजकोषीय फिसलन और वित्तीय आंकड़ों का मिलान पर मुख्य रूप से चर्चा की जाएगी।
समीक्षा के बाद पाकिस्तान को धन की अगली किश्त जारी की जाएगी, जो सितंबर से ही लंबित पड़ा हुआ है।
सरकार ने 2022-23 के लिए बजट घोषणा की पूर्व-संध्या पर कहा था कि बजटीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत पर रह सकता है। इसके साथ ही प्राथमिक घाटा जीडीपी के मुकाबले सकारात्मक 0.2 प्रतिशत रहने का अनुमान था।
स्थानीय समाचारपत्र ‘द न्यूज’ ने सूत्रों के हवाले से प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि मुद्राकोष ने पाकिस्तानी अधिकारियों से मिनी-बजट के जरिये 600 अरब रुपये के अतिरिक्त कराधान उपाय करने को कहा है।
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारी इसके लिए बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं। उनकी दलील है कि प्राथमिक घाटा इस हद तक नहीं बढ़ेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजटीय अनुमानों में 2,000 अरब रुपये के उल्लंघन की पहचान करते हुए यह चेतावनी दी है कि प्राथमिक और बजट घाटा बड़े पैमाने पर बढ़ सकता है।
इस बीच समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में केवल 5.6 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज मिला है, जो सालाना बजट अनुमान का एक चौथाई हिस्सा है।
रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक मामलों के मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चला कि जुलाई से दिसंबर 2022 तक विदेश से मिला ऋण केवल 5.6 अरब डॉलर था। यह राशि इस अवधि में चुकाए जाने वाले विदेशी ऋण के बराबर भी नहीं है। ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार को गंभीर नुकसान हुआ।
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