आईआईटी वाले बाबा अभय सिंह ने छोड़ा महाकुंभ, मिलने वालों की लग रही थी भारी भीड़

प्रयागराज महाकुंभ श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े में धूनी रमाने वाले आईआईटी बाबा ने महाकुंभ छोड़ दिया है। वह अज्ञात स्थान पर चले गए हैं। आश्रम के संतों को भी नहीं पता है कि वह कहां पर गए हैं। 

Jan 17, 2025 - 15:10
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आईआईटी वाले बाबा अभय सिंह ने छोड़ा महाकुंभ, मिलने वालों की लग रही थी भारी भीड़

प्रयागराज (आरएनआई) प्रयागराज महाकुंभ श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े में धूनी रमाने वाले आईआईटी बाबा ने महाकुंभ छोड़ दिया है। वह अज्ञात स्थान पर चले गए हैं। आश्रम के संतों को भी नहीं पता है कि वह कहां पर गए हैं।  गुरुवार रात उन्हें तलाशते हुए उनके माता-पिता भी जूना अखाड़े के 16 मड़ी आश्रम पहुंचे, लेकिन तब तक वो जा चुके थे।

आश्रम के संतों के अनुसार बाबा अभय सिंह लगातार मीडिया को इंटरव्यू दे रहे थे, जिससे उनका मानसिक तनाव बढ़ रहा था। उन्होंने मीडिया में कुछ ऐसी बातें भी कहीं, जो विवाद का कारण बन गईं। इसके चलते ही उन्होंने आश्रम को छोड़ने का फैसला लिया। उनका मोबाइल नंबर भी बंद चल रहा है। उनसे मिलने के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और मीडिया कर्मियों को निराशा हाथ लग रही है। 

आईआईटीयन बाबा अभय सिंह हरियाणा के झज्जर के रहने वाले हैं। उनके पिता कर्ण सिंह एडवोकेट हैं। झज्जर बार एसोसिएशन के प्रधान भी रह चुके हैं। अभय ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है। इसके बाद कनाडा जाकर एरोप्लेन बनाने वाली कंपनी में काम किया। इसके बाद अचानक वह देश लौटे और कुछ समय बाद घर से गायब हो गए। महाकुंभ से जब उनकी वीडियो वायरल हुई तो परिवार को पता चला। हालांकि, अब वे इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहते।
कौन हैं 'इंजीनियर बाबा'?

इंजीनियर बाबा के नाम से इंटरनेट पर वायरल हो रहे अभय सिंह का दावा है कि वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT-B) के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। अभय सिंह मूल रूप से हरियाणा से आते हैं। उन्होंने अपने अनोखे अंदाज से महाकुंभ में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।जूना अखाड़े से जुड़े अभय सिंह चित्र और आरेखों की मदद से जटिल आध्यातिमक अवधारणाओं को सरल तरीके से श्रद्धालुओं को समझाते हैं।

बाबा अभय सिंह ने आईआईटी से 'भक्ति' की राह पर आने के अपने सफर के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि उनका जन्म हरियाणा के झज्जर में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं की, इसके बाद वे जेई की तैयारी करने लगे। इसके बाद वे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के लिए मुंबई आईआईटी गए। जहां उनके जीवन ने अलग-अलग मोड़ लिए। उन्होंने बताया कि आईआईटी से जब में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कर रहा था तो मुझे लगता था कि यही सब कुछ है। बाद में जब मैं अध्यात्म की ओर अग्रसर हुआ तो अब मुझे लगता है कि असली साइंस यही है।  

अभय सिंह का कहना है कि इंजीनियरिंग के दौरान उनका खासा झुकाव ह्नयुमिनिटी की ओर था। इस बाबत उन्होंने दर्शन से जुड़े अलग-अलग ग्रंथों और दार्शिनिकों को पढ़ा। इस दौरान उनकी डिजाइनिंग में भी रुचि बढ़ी। जिसके चलते उन्होंने दो सालों तक डिजाइनिंग भी सीखी। बाद में उन्होंने काफी समय तक फोटोग्राफी करने वाली एक कंपनी में भी काम किया, लेकिन कुछ समय बाद वहां से भी उनका मन उचाट हो गया। इस दौरान वे डिप्रेशन में चले गए।

जिससे निकलने के लिए वे कनाडा में काम करने भी गए। जहां उन्होंने नौकरी भी की। जहां उनकी सैलरी तीन लाख प्रति महीने थी. उसके बाद सैलरी में इजाफा भी हुआ। हालांकि वहां भी उनका मन नहीं लगा। बाद में कोरोना के दौरान वे भारत आ गए। इसके बाद उन्होंने दर्शन से जुड़े विषयों का अध्ययन शुरू किया और अपने जीवन का सार समझने की कोशिश शुरू की। अब उनका कहना है कि उन्होंने अपना जीवन भगवान को समर्पित कर दिया है। भक्ति में उनको वो सुकून मिल रहा है जो वे खोज रहे थे। 

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