आंबेडकर वाले बयान को लेकर कांग्रेस ने मांगा अमित शाह का इस्तीफा; कहा- देश से मांगे माफी
संविधान पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में अमित शाह ने कहा था कि आंबेडकर का नाम लेना अभी एक फैशन हो गया है। इसी पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस लगातार पीएम मोदी और शाह पर हमला बोल रही है।
नई दिल्ली (आरएनआई) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान डॉ. बीआर आंबेडकर को लेकर दिए बयान पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने शाह पर डॉ. आंबेडकर का अपमान करने का गंभीर आरोप लगाया। साथ ही गृह मंत्री से इस्तीफा देने की मांग की। वहीं, इस मुद्दे के चलते आज संसद में भी हंगामा जारी रहा।
संविधान पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में अमित शाह ने कहा था कि 'अभी एक फैशन हो गया है। आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। आंबेडकर का नाम सौ बार लें, लेकिन आंबेडकर के बारे में कांग्रेस पार्टी का भाव क्या है, ये मैं बताता हूं।'
शाह ने कहा था, 'डॉ. आंबेडकर ने देश की पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दे दिया था। उन्होंने अनुसूचित जनजातियों से व्यवहार, अनुच्छेद 370 और देश की विदेश नीति से नाराजगी के चलते इस्तीफा दे दिया था। इस पर बीसी रॉय ने पंडित नेहरू को चिट्ठी लिखी कि आंबेडकर और राजाजी मंत्रिमंडल छोड़ेंगे तो क्या होगा? इसके जवाब में पंडित नेहरू ने लिखा था कि राजाजी के जाने से कुछ असर पड़ेगा, लेकिन आंबेडकर के जाने से कुछ नहीं होगा।'
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस के आंबेडकर के बारे में ये विचार रहे हैं। आज आंबेडकर को मानने वाले पर्याप्त संख्या में आ गए हैं इसलिए ये आंबेडकर-आंबेडकर कर रहे हैं। वोटबैंक के लिए कांग्रेस नेता आजकल आंबेडकर का नाम बार-बार लेते हैं।
विपक्षी दल यह भी मांग कर रहा है कि शाह को सार्वजनिक रूप और संसद में अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। संसद के बाहर पत्रकारों से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'हम आंबेडकर का अपमान करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हैं; उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।'
उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर भी कहा, 'गृहमंत्री अमित शाह ने जो आज भरे सदन में बाबासाहेब का अपमान किया है, उससे ये फिर एक बार सिद्ध हो गया है कि भाजपा और आरएसएस तिरंगे के खिलाफ थे। उनके पुरखों ने अशोक चक्र का विरोध किया। संघ परिवार के लोग पहले दिन से भारत के संविधान के बजाय मनुस्मृति को लागू करना चाहते थे। मगर बाबासाहेब ने ये नहीं होने दिया, इसलिए उनके प्रति इतनी घृणा है।'
उन्होंने आगे कहा, 'मोदी सरकार के मंत्रीगण ये कान खोलकर समझ लें कि मेरे जैसे करोड़ों लोगों के लिए बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर जी भगवान से कम नहीं हैं। वे दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक व गरीबों के मसीहा हैं और हमेशा रहेंगे।'
कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने भी शाह से माफी मांगने को कहा। उन्होंने कहा, 'राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर का नाम लेना फैशन बन गया है। यह देश के दलितों और बाबा साहेब का सीधा अपमान है।'
डांगी ने कहा, 'शाह ने पूरे देश को दिखा दिया है कि भाजपा नेता किस तरह की सोच रखते हैं। वंचित और शोषित वर्ग जिसका अपमान किया गया है, यह वही वर्ग है जो उन्हें 240 से घटाकर 40 कर देगा। कांग्रेस पार्टी की ओर से, मैं मांग करता हूं कि अमित शाह को सार्वजनिक रूप से और सदन में माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने बाबासाहेब के बारे में जो कहा है, उस पर विचार करते हुए वह संवैधानिक पद पर बने रहने का अधिकार खो चुके हैं। उन्हें गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।'
कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान शाह की टिप्पणी दर्शाती है कि भाजपा और आरएसएस नेताओं के मन में आंबेडकर के लिए 'काफी नफरत' है और इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा था कि जो लोग मनुस्मृति में विश्वास करते हैं, वे निश्चित रूप से आंबेडकर के साथ मतभेद रखेंगे।
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