अवमानना याचिका पर महाराष्ट्र प्राधिकरण को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस; देश विरोधी नारों पर हुई थी ध्वस्तीकरण कार्रवाई
सिंधुदुर्ग जिले में पिछले महीने चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच के दौरान कथित भारत विरोधी नारे लगाए जाने का मामला सामने आया था। इसे लेकर शिकायत भी दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद अधिकारियों ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की थी।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अवमानना याचिका पर महाराष्ट्र प्राधिकरण से जवाब मांगा। कोर्ट सिंधुदुर्ग जिले में एक घर और दुकान के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई थी। कार्रवाई क्रिकेट मैच के दौरान कथित भारत विरोधी नारे लगाने के मामले में की गई थी। इसी मामले में अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग वाली याचिका पर महाराष्ट्र प्राधिकरण से जवाब मांगा गया है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि पिछले महीने चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच के दौरान कथित भारत विरोधी नारे लगाने के बारे में एक तुच्छ शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसके बाद अधिकारियों की ओर से तोड़फोड़ की गई। न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, 'नोटिस जारी करें।' पीठ ने कहा कि याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।
सिंधुदुर्ग जिले के रहने वाले याचिकाकर्ता ने दावा किया कि चैंपियंस ट्रॉफी में भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उसके, उसकी पत्नी और उसके 14 वर्षीय बेटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद 24 फरवरी को उसका घर और दुकान ध्वस्त कर दी गई थी। मैच में भारत ने पिछले दिन जीत दर्ज की थी। किताबुल्ला हमीदुल्ला खान की ओर से दायर याचिका में मालवन नगर परिषद के मुख्य अधिकारी और प्रशासक के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि यह कार्रवाई संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में शीर्ष अदालत के 13 नवंबर, 2024 के फैसले का उल्लंघन है। फैसले में अखिल भारतीय दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए थे। इसमें बिना पूर्व कारण बताओ नोटिस और पीड़ित पक्ष को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिए बिना संपत्तियों को ध्वस्त करने पर रोक लगाई गई थी।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि रात करीब 9.15 बजे जब शिकायतकर्ता अपने दोस्त के घर जा रहा था, तो याचिकाकर्ता के बेटे ने क्रिकेट मैच देखते हुए भारत विरोधी नारा लगाया। याचिकाकर्ता और उसके नाबालिग बेटे को आधी रात को पुलिस स्टेशन ले जाया गया और लड़के को चार-पांच घंटे बाद जाने दिया गया। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी को जेल भेज दिया गया, लेकिन अधिकारियों ने 24 फरवरी को उसकी टिन शेड वाली कबाड़ की दुकान और घर को अवैध बताते हुए ध्वस्त कर दिया।
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