अमरनाथ गुफा में कैसे बनता है शिवलिंग जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल, यूट्यूब वास्तु सुमित्रा
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अमरनाथ गुफा में शिवलिंग के निर्माण की प्रक्रिया बिल्कुल प्राकृतिक और चमत्कारिक है इस गुफा में प्राकृतिक बर्फबारी से लगातार शिवलिंग के निर्माण होते रहते हैं इसके अलावा भी लोग यह मानते हैं कि यहां पर कई प्रकार के देवी देवताओं की आकृतियां बर्फ के माध्यम से बनती हैं और यही कारण है कि अमरनाथ मंदिर में बर्फ के शिवलिंग बनने के कारण इन्हें बर्फानी और हिमानी बाबा कहकर बुलाया जाता है।
अमरनाथ से जुड़ी हुई पौराणिक अमर कथा का रहस्य
अमरनाथ मंदिर में शिवलिंग के साथ-साथ इनसे ही गणेश और पार्वती पीठ की थी उत्पत्ति हुई है माना जाता है कि यहां माता सती के कंठ का निपात हुआ था आपको बता दें कि इस मंदिर में स्थित पार्वती पीठ शक्ति के ५१ सीटों में से प्रमुख है।
दरअसल इस पवित्र गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को मोक्ष के मार्ग के बारे में बताया था और उन्हें अमृत्व का तत्व देने वाली अमर कथा सुनाई थी यही कारण है कि भगवान शिव के इस धाम को अमरनाथ कहा गया है
कथा सुनाने के लिए भगवान शिव ने किया था पंच तत्वों का त्याग
भगवान शिव ने यह अमर कथा सुनाने के लिए पंच तत्वों पृथ्वी जल वायु आकाश अग्नि का त्याग किया था।
सर्वप्रथम पहलगांव में इन्होंने नंदी बैल को त्यागा था उसके बाद चंदनवाड़ी में अपनी जटाओं से चंद्रमा का त्याग किया।
चंद्रमा का त्याग करने के पश्चात भगवान शिव शेषनाग झील पहुंचे जहां पर उन्होंने अपने गले से सर्पों का त्याग किया उसके बाद महागुणस पर्वत पर पहुंचकर गणेश जी का त्याग किया जब भगवान ने अपना सर्वस्व त्याग दिया उसके पश्चात पंचतरणी स्थान पर पहुंच कर अपने शरीर के अवयव वाले पांच तत्वों को त्यागा उसके बाद पर्वत मालाओं पर पहुंचकर माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी।
अमरनाथ गुफा के कबूतरों की पौराणिक कथा
माता सती ने हिमालय राज के यहां पार्वती के रूप में अपना दूसरा जन्म लिया इससे पहले वह अपने पूर्व जन्म में महाराजा दक्ष की पत्नी थी जिन का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था।
कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव और माता पार्वती दोनों एक साथ बैठे हुए थे माता पार्वती ने भगवान शिव के कंठ में में पड़ी मुंडमाला को देखकर बड़े आश्चर्य से पूछा कि आप ही मुंडमाला क्यों धारण करते हैं?
इस बात पर भगवान शिव ने उनकी जिज्ञासा को दूर करते हुए बताया कि उन्होंने जितनी बार अपने शरीर का त्याग किया है। भगवान शिव ने उतनी ही मुंडमालाओं का हार धारण किया। इस बात पर पार्वती माता की जिज्ञासा और बड़ी और उन्होंने भगवान शिव से पुनः प्रश्न किया कि मेरा शरीर नश्वर है जो बार-बार मृत्यु को प्राप्त होता है और पुनः में एक नया जन्म लेते हैं। लेकिन आपकी मृत्यु नहीं होती, आप मुझे बताएं कि आप क्यों अमर हैं आप मुझे अमर तत्वों से परिचित कराएं क्योंकि मैं भी अजर अमर होना चाहती हूं।
भगवान शिव ने उत्तर दिया कि उनकी मृत्यु के पीछे अमर कथा है। तब पार्वती जी ने भगवान शिव से अमर कथा सुनने की उत्कंठा जताई। हालांकि कि भगवान शिव ने कई बार उनकी जिज्ञासा को टालने का प्रयास लेकिन जब उन्हें लगा कि अब पार्वती जी की जिज्ञासा बहुत ज्यादा बढ़ गई है तब उन्होंने यह निर्णय लिया कि उन्हें अभी अमर कथा सुना देनी चाहिए।
कहा जाता है कि भगवान शिव जब पार्वती माता को यह अमर कथा सुना रहे थे तो वहां एक नीले कंठ वाले तोते का बच्चा भी छिप छिप कर यह कथा सुन रहा था। जब शिव भगवान कथा सुनाते तो उस समय पार्वती माता बीच-बीच में हूंकार भर रही थी लेकिन कथा के बीच में ही ऐसा हुआ कि उन्हें अचानक से नींद आ गई तब उनकी जगह पर उस तोते के बच्चे ने हूँकार करना शुरू किया। जब भगवान शिव को इस बात के बारे में पता चला वह अत्यंत क्रोधित हो गए और उस तोते को मारने के लिए दौड़े उसके पीछे अपने त्रिशूल को छोड़ दिया लेकिन वह तोता तीनों लोकों में भागते भागते व्यास जी के आश्रम में पहुंचा और उनकी पत्नी की मुख्य में घुसकर उनके गर्भ में चला गया और वहीं पर १२ वर्षों तक रहा। १२ वर्षों के बाद भगवान श्री कृष्ण के आश्वासन पर यही व्यास जी के पुत्र के रूप में पैदा हुए और शुक देव कहलाए।
कहा जाता है कि अमरनाथ में एक संध्या भगवान शिव नृत्य कर रहे थे उस समय उनके दो रूद्र गण आपस में एक दूसरे के इर्षा के भाव से कुर – कुर कर रहे थे जिस पर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और उन दोनों को कबूतर बनने का श्राप दे दिया। तभी से माना जाता है कि यह युगल कबूतर किसी अमरनाथ मंदिर में रहते हैं और अमरनाथ यात्रियों को दिखाई भी देते हैं। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि जब भगवान शिव पार्वती माता को अमर कथा सुना रहे थे उस समय एक कबूतर के जोड़े ने उनकी कथा को छिपकर सुन लिया था जिसके कारण वे दोनों कबूतर भी अमरत्व को प्राप्त हो गए और आज भी इसी गुफा में रहते हैं और अक्सर यह युगल कबूतर तीर्थ यात्रियों को दिखाई देते हैं।
अमरनाथ मंदिर का महत्व और इससे जुडी रोचक तथ्य
१ . श्रद्धालु यह मानते हैं कि अमरनाथ मंदिर में भगवान शिव के शिवलिंग के दर्शन करने पर मृत्यु का भय नहीं लगता। कहा जाता है कि देवताओं ने मृत्यु के भय से बचने के लिए इस शिवलिंग की स्थापना की थी।
२ . अमरनाथ में प्रत्येक वर्ष बर्फ की वर्षा से शिवलिंग का निर्माण होता है। आश्चर्य की बात यह है कि इसमें किसी भी प्रकार की मानवीय कोशिश नहीं की जाती बल्कि यह प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है लोग इसे भगवान शिव का चमत्कार मानते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव की प्राकृतिक लिंग के अलावा और कई सारी आकृतियां की बनती हैं जो बहुत सारे देवी देवताओं से मिलती हैं।
३ . अमरनाथ मंदिर में केवल भगवान शिव का शिवलिंग ही नहीं बल्कि इसे ५१ शक्तिपीठों में से एक प्रमुख शक्तिपीठ भी माना जाता है।
४ . लोग मानते हैं कि अमरनाथ के दर्शन करने से संगम प्रयाग के अपमान से सौ गुना ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है और अकाल मृत्यु जैसे दोस्त भी कट जाते हैं साथ ही साथ इनके दर्शन करते ही लोगों के मन से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
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