अब हजार रुपए की पॉवर ऑफ अटार्नी से बेची जा सकेगी रेशो डील की प्रॉपर्टी
इंदौर। शासन ने रियल इस्टेट कारोबारियों को एक राहत दी है। खासकर रेशो डील करने वाले बिल्डर और कालोनाइजरों को इससे बड़ी मदद मिलेगी और वे रेशो डील के आधार पर अपने हिस्से की प्रॉपर्टी एक हजार रुपए की पॉवर ऑफ अटार्नी के आधार पर बेच सकेंगे। ये पॉवर ऑफ अटार्नी जमीन मालिक के साथ रेशो डील के वक्त ही तैयार हो जाएगी, ताकि बाद में किसी तरह का विवाद होने पर परेशानी ना हो। दरअसल रेरा ने इस मामले में भी आपत्ति ली थी और बिल्डर को रेशो डील के आधार पर प्रोजेक्ट को डेवलप करने की तो पात्रता बताई, मगर बेचने की नहीं। इसके चलते अभी रजिस्ट्री करवाते वक्त हर बार जमीन मालिक की सहमति लेना पड़ती है और तीन लोगों के बीच एग्रीमेंट भी बनते हैं। पहला जमीन मालिक, दूसरा डेवलपर, तीसरा खरीददार। मगर अब इस प्रक्रिया से मुक्ति मिल जाएगी।
वाणिज्यिक कर विभाग के उपसचिव आरपी श्रीवास्तव ने अभी गजट नोटिफिकेशन के जरिए उक्त प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिए हैं। 5 जुलाई को ये गजट नोटिफिकेशन हुआ है, जिसके आधार पर अब रेशो डील में विक्रय के अधिकार बिल्डर या कालोनाइजर को मात्र एक हजार रुपए की पॉवर ऑफ अटार्नी के जरिए हासिल हो जाएंगे। दरअसल जमीनों की कीमतें बढऩे के कारण अब अधिकांश प्रोजेक्ट रेशो डील के साथ ही होते हैं, जिसमें चाहे टाउनशिप हो या बहुमंजिला इमारत अथवा अन्य कोई व्यवसायिक प्रोजेक्ट हो। बिल्डर या कालोनाइजर अगर जमीन खरीदकर प्रोजेक्ट करता है तो उसे काफी महंगा पड़ता है। उसकी बजाय जमीन मालिक के साथ रेशो डील दोनों के लिए फायदेमंद रहती है। इससे जमीन मालिक को भी उस प्रोजेक्ट में जहां पार्टनरशिप मिल जाती है, वहीं वह अपने हिस्से के भूखंड, फ्लेट या अन्य प्रॉपर्टी को बेच सकता है।
अलग-अलग क्षेत्र में यह रेशो डील अलग-अलग प्रतिशत के आधार पर होती है। यानी जमीन की कीमत अगर ज्यादा है तो उसके मालिक को ज्यादा प्रतिशत तैयार प्रॉपर्टी मिलती है। अभी रेशो डील में अगर कोई प्रोजेक्ट किया जाता है तो प्रॉपर्टी के मूल्य यानी गाइडलाइन के आधार पर 5 प्रतिशत ड्यूटी भी चुकाना पड़ती है। मगर अब हजार रुपए की पॉवर ऑफ अटार्नी से ही बिल्डर या कालोनाइजर को प्रॉपर्टी बेचने के अधिकार मिल जाएंगे। दरअसल इस पर भी पिछले दिनों रेरा ने आपत्ति ली थी, जिसके चलते कई प्रोजेक्ट अधर में पड़े, तो बिल्डरों को परेशानी भी हो रही थी। मगर अब इस नोटिफिकेशन के बाद यह एक बड़ी समस्या खत्म हो गई है। क्रेडाई के पदाधिकारियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। क्रेडाई से जुड़े अतुल झंवर और संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि इसके लिए लगातार क्रेडाई प्रयासरत रहा और अब नोटिफिकेशन जारी हो गया।
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