अब प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए बनाए गए पैनल में विवाद, विपक्षी सांसद ठुकरा सकते हैं जिम्मेदारी

भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर लगातार सियासी विवाद बना हुआ है।

Jun 22, 2024 - 15:00
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अब प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए बनाए गए पैनल में विवाद, विपक्षी सांसद ठुकरा सकते हैं जिम्मेदारी

नई दिल्ली (आरएनआई) भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर लगातार सियासी विवाद बना हुआ है। कांग्रेस और केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन लगातार इस नियुक्ति पर सवाल खड़े कर रहे हैं। बढ़ते विरोध को देखते हुए भाजपा ने भी कांग्रेस को सलाह दे दी थी कि वह अपने सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाए। हालांकि इन सबके बीच अब नया विवाद शुरू हो गया है। सूत्रों का कहना है कि प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए चुने गए विपक्षी नेता पदों को स्वीकार नहीं करने पर विचार कर रहे हैं। 

नया विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब पहले से ही विपक्षी दल प्रोटेम स्पीकर के रूप में भर्तृहरि महताब को चुने जाने पर आपत्ति जता रहे हैं। 

गौरतलब है, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत भाजपा सांसद को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए सुरेश कोडिकुन्नील, थलिककोट्टई राजुथेवर बालू, राधामोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंदोपाध्याय को भी नियुक्त किया है। भर्तृहरि महताब लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने तक पीठासीन अधिकारी के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। 

बता दें, 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होगा। नवनिर्वाचित सदस्य 24-25 जून को शपथ लेंगे। इसके बाद 26 जून को नए लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा।

विपक्षी दलों के सूत्रों ने बताया कि प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए नियुक्त किए गए तीन विपक्षी सांसद कांग्रेस नेता के सुरेश, टीएमसी नेता सुदीप बंद्योपाध्याय और डीएमके नेता टीआर बालू पैनल का हिस्सा न होने पर विचार कर रहे हैं। 

कई कांग्रेस नेताओं ने महताब की नियुक्ति पर आपत्ति जताई है, जबकि के. सुरेश सदन में अधिक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सफाई भी दे चुके हैं। उनका कहना कि महताब को इसलिए चुना गया क्योंकि निचले सदन के सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल सबसे लंबा है।

रिजिजू ने कहा कि सुरेश आठ बार सांसद रह चुके हैं, लेकिन वे 1998 और 2004 में लोकसभा के सदस्य नहीं थे और इसलिए संसद के निचले सदन में उनका कार्यकाल निर्बाध नहीं रहा। कांग्रेस ने सरकार पर आठ बार सांसद रहे सुरेश के बजाय सात बार सांसद रहे महताब को प्रोटेम स्पीकर चुनकर संसदीय मानदंडों को नष्ट करने का आरोप लगाया है।

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