अनपढ़ से CA तक.. साइबर ठगों का नेटवर्क, प्राइवेट कंपनी की आड़ में ट्रांसफर करा रहे ठगी की रकम
साइबर क्राइम के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है बावजूद इसके पुलिस के हाथ खाली हैं। साइबर ठगों के गिरोह में अनपढ़ से लेकर तकनीकी जानकार और सीए तक शामिल हैं जो आसानी से ठगी के पैसों को ट्रांसफर कर लेते हैं। यही नहीं पिछले कुछ समय में प्राइवेट कंपनी बनाकर ठगी की मोटी रकम उसमें ट्रांसफर कराई जा रही है।
पटना (आरएनआई) साइबर ठगों के नेटवर्क को तोड़ना तो दूर ठगी की रकम किस गिरोह तक पहुंच रही है, इसकी पहचान करना भी मुश्किल हो गया है। पुलिस भी मोबाइल का आइएमईआइ और सिमकार्ड को बंद कराने के साथ एक बैंक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर धनराशि को ब्लॉक कराने में उलझी होती है। जैसे ही पता चलता है ठगी में म्यूल खाते का इस्तेमाल हुआ है, जांच वहीं उलझ जा रही है।
ठगों के चेन में तकनीकी जानकार से लेकर कम पढ़े लिखे, चार्टेड अकाउंटेंट से लेकर फर्जी कंपनी तैयार कर खाता खोलने वाले लोगों की भी संलिप्तता उजागर हो चुकी है। कंपनी के नाम से खुले खातों में मोटी रकम ट्रांसफर कराई जा रही है।
पुलिस ऐसे खातों की पहचान कर संबंधित खाता धारक का सत्यापन करती है, लेकिन वह उस पते पर मिलते ही नहीं।
पुलिस गिरफ्त में वे आते है जो नौकरी के झांसे में आकर साइबर ठगी के लिए खोले गए काल सेंटर में काम करते है।
लालच में आकर अपने खाते को किराए पर देते हैं या फिर ठगी की रकम निकालने के लिए एटीएम पर पहुंचने वाले ठग होते है।
इन सब के बीच की कड़ी और मास्टरमाइंड कौन है? पुलिस उसके करीब भी नहीं पहुंच पा रही है।
साइबर थाना, इओयू की विशेष टीम और अन्य थानों की पुलिस बीते जनवरी से दस दिसंबर के बीच 590 से अधिक साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
इसमें तेलंगना, आंध्र प्रदेश, गुजरात के साथ ही दूसरे राज्य के भी ठग शामिल हैं।
कई गिरोह के अपराधी इसमें शामिल हैं, लेकिन इनकी गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस सरगना तक नहीं पहुंच पाती है।
इसमें अधिक आरोपित सरगना से मिले ही नहीं या फिर वह किसी और के संपर्क में थे।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?