अदालत ने राजभवन के अधिकारी के खिलाफ जांच पर रोक लगाई
उच्च न्यायालय ने एक महिला को कथित तौर पर गलत ढ़ग से रोकने के मामले में राजभवन के एक अधिकारी के खिलाफ पुलिस जांच पर शुक्रवार को अस्थायी रोक लगा दी।
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कोलकाता (आरएनआई) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्यपाल सी वी आनंद बोस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली एक महिला को कथित तौर पर गलत ढ़ग से रोकने के मामले में राजभवन के एक अधिकारी के खिलाफ पुलिस जांच पर शुक्रवार को रोक लगाई। न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने जांच पर 17 जून तक अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया। आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यपाल ने कर्मचारियों को बधाई दी और इसे 'बुराई पर सच्चाई' की जीत करार दिया।
बोस ने एक्स पर लिखा, अदालत ने पहले (राज्य पुलिस की आपत्तियों को खारिज करते हुए) राजभवन के अधिकारियों को जमानत दी और अब अदालत ने इस कठिन जांच को लगभग बंद कर दिया है। बुराई हालांकि शुरुआत में जीतती हुई प्रतीत हो सकती है, लेकिन जीत आखिरकार सत्य की होगी।
अदालत ने पुलिस को मामले में अब तक की गई जांच पर एक रिपोर्ट 10 जून को पेश करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 10 जून को होगी। विशेष कार्य अधिकारी संदीप कुमार सिंह ने अपने खिलाफ कार्यवाही और दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया है।
दो मई को महिला को अवैध तरीके से रोककर राजभवन से नहीं निकलने देने के आरोप में ओएसडी सहित तीन अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। महिला ने दो मई को बोस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की।
संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार, किसी राज्यपाल के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है। सिंह और राजभवन के दो अन्य आरोपी कर्मचारियों ने 21 मई को यहां मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत से अग्रिम जमानत प्राप्त की। सिंह के वकील राजदीप मजूमदार ने न्यायमूर्ति सिन्हा की अदालत के समक्ष दावा किया कि आरोप निराधार हैं और इसे लेकर कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है।
राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने याचिकाकर्ता की दलील का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस को शिकायत की जांच करने से रोकने के लिए आदेश पारित करने में कोई जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने अनुरोध किया कि जांच करने की अनुमति दी जाए।
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