अदालत को धोखा देने की कोशिश करने पर याचिकाकर्ता को लगी फटकार, 25 हजार का जुर्माना
उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को यह नहीं समझना चाहिए कि वह अदालत को धोखा देकर कोई आदेश हासिल कर सकता है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के मामलों को हल्के में नहीं लिया जाएगा और ऐसे मामलों से सख्ती से निपटा जाएगा।
मुंबई (आरएनआई) बंबई उच्च न्यायालय ने अदालत की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करने पर याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। साथ ही याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। याचिका विजय फसाले की ओर से दायर की गई थी, जो किसी शिक्षण संस्थान में क्लर्क के रूप में काम करते हैं।
न्यामूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे ने पांच दिसंबर को फसाल की उस याचिका को खारिज किया, जिसमें मांग की गई थी कि सरकारी रिकॉर्ड में उनकी जन्मतिथि 1968 से बदलकर 1972 की जाए, जिससे उनकी आयु चार साल कम हो जाए।
याचिकाकर्ता फसाले सांगली जिले के एक शिक्षण संस्थान में जून 1997 से क्लर्क के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी जन्मतिथि को जून 1968 से बदलकर 1972 करने की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने फसाले के स्कूल रिकॉर्ड की जांच की, जिसके मुताबिक उन्होंने मई 1984 में 10वीं की परीक्षा पास की थी।
अदालत ने कहा, अगर याचिकाकर्ता की जन्मतिथि को जून 1972 मान लिया जाए, तो इसका मतलब होगा कि उसने 12 वर्ष की आयु में 10वीं की परीक्षा पास की थी, जो यह साबित करता है कि उसने जून 1973 में पहली कक्षा में दाखिला लिया था, उस समय उसकी आयु केवल एक साल थी।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि फसाले को यह नहीं समझना चाहिए कि वह अदालत को धोखा देकर कोई आदेश हासिल कर सकते हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के मामलों को हल्के में नहीं लिया जाएगा और ऐसे मामलों से सख्ती से निपटा जाएगा।
अदालत ने कहा, अब समय आ गया है कि ऐसे लोग जो अदालत को धोखा देने की कोशिश करते हैं, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि वह इस तरह के गलत याचिका दाखिल न करें। अदालत चाहती है कि यह सख्त संदेश सभी को स्पष्ट और जोरदार तरीके से पहुंचना चाहिए, ताकि लोग समझें कि ऐसे मामलों को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
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